Punjab media news :स्मार्ट सिटी जालंधर से जुड़े घोटालों की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई लगती है। पता चला है कि स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के जालंधर यूनिट ने जांच की रफ्तार तेज करते हुए कई पूर्व अधिकारियों, ठेकेदारों और प्रोजेक्ट से जुड़े कर्मियों के बयान दर्ज कर लिए हैं। बताया जा रहा है कि विजिलेंस ने अब तक उन सभी अधिकारियों का पूरा डेटा जुटा लिया है जिन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों को तैयार किया, टैंडर पास किए, काम करवाए और भुगतान की मंजूरी दी। आने वाले दिनों में इन अफसरों को जवाबदेह बनाकर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है। कुछ मामलों में सरकारी पैंशन तक रोके जाने की संभावना जताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार, विजिलेंस ब्यूरो ने उन सभी प्रोजेक्टों की जांच को प्राथमिकता दी है जिन पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। इनमें एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट, बिस्त दोआब नहर सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट और स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट प्रमुख हैं। इन योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन जमीनी स्तर पर इनका लाभ जनता को नहीं मिला। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत करीब 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जालंधर के विकास कार्यों पर खर्च की गई थी परंतु शहर की हालत देखकर स्पष्ट है कि प्रोजेक्टों से अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। कैग की ऑडिट रिपोर्ट ने भी इन प्रोजेक्टों में गंभीर वित्तीय गड़बड़ियां उजागर की हैं, जिसके बाद विजिलेंस ने जांच का दायरा और बढ़ा दिया है।
स्मार्ट सिटी में रहे अफसरों पर कसेगा शिकंजा
सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस उन अफसरों की सूची तैयार कर चुकी है जो स्मार्ट सिटी में साइट इंजीनियर, कंसल्टेंट, प्रोजेक्ट एक्सपर्ट, टीम लीडर और सीईओ स्तर पर कार्यरत थे। यह अफसर प्रोजेक्ट मंजूरी, टेंडरिंग और पेमैंट प्रक्रियाओं से सीधे जुड़े थे। इनमें से कुछ अधिकारी अब रिटायर होकर पैंशन प्राप्त कर रहे हैं। माना जा रहा है कि यदि जांच में दोष सिद्ध हुआ तो सरकार गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई भी कर सकती है।
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