कुछ महीने पहले स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने नगर निगम जालंधर में छापेमारी कर बिल्डिंग ब्रांच में भारी अनियमितताओं और गड़बड़ियों का पर्दाफाश किया था। उस समय कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी तक हुई थी और वह जांच आज भी जारी है। विजिलेंस की कार्रवाई के बाद बिल्डिंग ब्रांच में कुछ समय के लिए ठहराव जरूर दिखाई दिया, लेकिन अब निगम की इंजीनियरिंग शाखा में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां सामने आने लगी हैं।
सूत्रों के अनुसार नगर निगम के बी एंड आर तथा ओ एंड एम सेल में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें अब पंजाब सरकार के लोकल बॉडीज विभाग, चंडीगढ़ स्थित उच्च अधिकारियों, मुख्यमंत्री कार्यालय और यहां तक कि स्टेट विजिलेंस तक पहुंचनी शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह विजिलेंस ने कुछ महीने पहले बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों पर शिकंजा कसा था, उसी तरह का एक्शन अब बी एंड आर और ओ एंड एम सेल में भी देखने को मिल सकता है।
सैंक्शन और मेंटेनेंस की आड़ में हो रही घपलेबाज
इस समय नगर निगम के बी एंड आर और ओ एंड एम सेल में सैंक्शन और मेंटेनेंस के नाम पर भारी गड़बड़ी चल रही है। कोटेशन आधारित कामों में चहेते ठेकेदारों को तरजीह दी जा रही है, फर्जी कोटेशन लगाई जा रही हैं और ठेकेदारों को पूरे रेट दिए जा रहे हैं। कामों की कोई जांच नहीं की जा रही, पेमेंट फटाफट की जा रही है और ठेकेदारों को मनमाने तरीके से काम बांटे जा रहे हैं।
दूसरी बड़ी गड़बड़ी एस्टीमेट बनाने और मेंटेनेंस के कामों में सामने आ रही है। कई बार बिना फील्ड विज़िट किए और साइट इंस्पेक्शन के बिना ही एस्टीमेट तैयार किए जा रहे हैं। कुछ ऐसे कामों के टेंडर भी निकाले जा रहे हैं जिनकी हल्के में कोई वास्तविक आवश्यकता नहीं है। ठेकेदारों को मेंटेनेंस वर्क्स में अनावश्यक रूप से प्राथमिकता दी जा रही है, कई बार बिना काम किए ही उनके बिल तैयार कर पास किए जा रहे हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि अफसरों और ठेकेदारों के बीच बना नैक्सस अब इतना मजबूत हो चुका है कि बिना थर्ड पार्टी जांच के ही बिल पास हो रहे हैं और पेमैंट्स धड़ाधड़ जारी की जा रही हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार भले ही भ्रष्टाचार खत्म करने के लाख दावे करे, परंतु नगर निगम में कमीशनखोरी का सिस्टम अब भी पूरी तरह सक्रिय है और ठेकेदारों से निर्धारित कमीशन वसूली जा रही है।
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