punjab media news : पंजाब सरकार द्वारा सरकारी विभागों में विकास कार्यों के लिए शुरू की गई ई-टैंडरिंग प्रक्रिया का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और ठेकेदारों को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा में टैंडर प्राप्त करने का मौका देना है। इसके बावजूद, अत्यंत जरूरी कार्यों को बिना टैंडर करवाने के लिए 2022 में ट्रांसपेरेंसी एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट लागू किया गया था, जिसके तहत निगम कमिश्नर को 5 लाख रुपए से कम राशि के कार्य बिना टैंडर या कोटेशन के सैंक्शन के आधार पर करवाने की पॉवर दी गई थी।
आरोप है कि जालंधर नगर निगम में पिछले दो-तीन वर्षों में इस एक्ट के तहत करवाए गए कार्यों में भारी घोटाला हुआ है। इसकी आड़ में करोड़ों रुपये के कार्य करवाए गए हैं। स्टेट विजिलेंस की विशेष टीम, जो पहले निगम के बिल्डिंग विभाग की जांच कर रही थी और इस सिलसिले में ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ व आप विधायक रमन अरोड़ा को गिरफ्तार कर चुकी है, ने अब सैंक्शन कोटेशन से संबंधित घोटाले को अपनी जांच के दायरे में ले लिया है।
विजिलेंस ने इन कार्यों से संबंधित सभी फाइलें मंगवानी शुरू कर दी हैं, जिन्हें निगम अधिकारियों ने उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। पिछले दो दिनों से विजिलेंस अधिकारी निगम कार्यालय में ऐसी दर्जनों फाइलें इकट्ठा कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर फाइलों में फर्जी कोटेशन लगाए गए हैं और अधिकतर एस्टीमेट व बिल 5 लाख रुपए से थोड़ी कम राशि के बनाए गए हैं ताकि इन्हें संबंधित अधिकारी की पॉवर के दायरे में पास किया जा सके।
पहले जालंधर में हुए चुनाव और उपचुनाव की आड़ में सैंक्शन कोटेशन के आधार पर कई कार्यों के बिल पास किए गए, लेकिन बाद में यह एक परंपरा बन गई। निगम हाउस बनने के बाद भी यह सिलसिला नहीं रुका, बल्कि सैनिटेशन, मेंटेनेंस, बी एंड आर, ओ एंड एम, और लाइट शाखा से संबंधित ज्यादातर काम इसी आधार पर चल रहे हैं।

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