Punjab medकुछ दिनों के दौरान प्रदेश में विजिलैंस ब्यूरों द्वारा कई सरकारी अधिकारियों सहित बड़े स्तर पर रिश्वतखोर सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी ने जहां इस सच्चाई की पुष्टि कर दी है कि प्रदेश भर में सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी किए गए दिशा-निर्देशों का सरकारी विभागों पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
वहीं विगत कुछ महीनों के दौरान विजिलैंस विभाग की कमजोर हुई कार्यप्रणाली के कारण काफी संख्या में ऐसे रिश्वतखोर कर्मचारियों व अधिकारियों के हौंसले बुलंदियों तक पहुंच गए हैं जो लंबे समय से अपनी भ्रष्ट गतिविधियों को लेकर बदनाम रहे हैं। मार्च-2022 को प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाते हुए जल्द ही प्रदेश को रिश्वतखोरी से मुक्त करवाने का ऐलान किया था।
जिसके तहत मुख्यमंत्री के आदेशों पर विजिलैंस ब्यूरों ने प्रदेश भर में जबरदस्त मुहिम चलाते हुए कई बड़े सरकारी अधिकारियों सहित सैंकड़ों की संख्या में ऐसे रिश्वतखोर सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा था, जिन्होंने रिश्वतखोरी के खेल को सरेआम अंजाम देते हुए लाखों-करोड़ों रुपए की रिश्वत हासिल की थी।
सरकार की इस शुरूआती कार्रवाई से जहां आम लोगों को भारी राहत मिली थी, वहीं मुख्यमंत्री के पोर्टल पर आने वाली रिश्वतखोरी संबंधी शिकायतों के तुरंत निपटारे से सरकार की छवि भी नई ऊंचाईयों तक पहुंच गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप रिश्वतखोरी की आदत से मजबूर बड़ी संख्या में उन सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपनी पोस्टें महत्वहीन स्थानों पर करवा ली थी ताकि वह किसी बड़ी सरकारी कार्यवाही से बच सके।
लेकिन इसके बाद रिश्वतखोरी को लेकर चल रही विजिलैंस की मुहिम ठंडे पड़ने से एक बार फिर से खुड्ढे लाईन पर चले गए बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी व अधिकारी फिर से उन स्थानों पर तैनात हो गए थे, जहां वह पहले रिश्वतखोरी के खेल को सरेआम अंजाम देते थे। सरकार की इस कार्रवाई के ढीले पड़ने से अब आम आदमी पार्टी की सरकार को लोकसभा चुनावों में भारी नुक्सान उठाना पड़ा तथा कहीं न कहीं प्रदेश में एक बार फिर से बढ़ चुकी रिश्वतखोरी ने सरकार की छवि को भारी नुक्सान पहुंचाया।
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