मज़बूत बनो, मजबूर नहीं

मज़बूत बनो, मजबूर नहीं

Punjab मज़बूत बनो, मजबूर नहीं, अध्यात्म आपका विषय नहीं है, पर आपमें से कईयों ने सुना होगा कि चौरासी से चौरासी लाख मौत की सजाएँ हैं, जिसमें जानवर, पंछी, कीड़ा-मकोड़ा, पेड़-पहाड़, ये सब हमें सजाएँ मिलती हैं । जैसे आप ‘डार्विन थ्योरी ऑफ एवोल्यूशन’ में पढ़ चुके हो कि मनुष्य शरीर में आने से पहले हम बंदर थे और हमारा 99% डीएनए वन-मानुष से मिलता है । अगर मैं इस शरीर को कहीं पर भी नष्ट करता हूँ, जिसे आत्महत्या कहा, तो मुझे फिर से उन्हीं जूनों में, उन्हीं शरीरों में जाना पड़ेगा । अगर मालूम पड़ जाए कि आत्महत्या करने के बाद अपने ही घर के सामने जानवर बनकर खड़े हो जाएँगे या पंछी बनकर घर की ग्रिल पर बैठ जाएँगे; तो क्या कोई आत्महत्या करने की सोचेगा, नहीं सोचेगा ! क्योंकि हमें मालूम ही नहीं है कि अपने शरीर को मारने का अपराध किया तोजानवर या पंछी बन कर लौटना पड़ेगा। ये अगर मालूम पड़ जाए कि बाद में सज़ाएं मिलती हैं तो फिर मैं पहले ही उन परिस्थितियों का सामना करूँगा क्यूंकि मैं जान चूका हूँ की आत्महत्या से मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं, खत्म नहीं होने वाली। आज घर से बाहर कितने बच्चे हैं जो पढ़ाई अच्छी नहीं हुई तो परेशान हो जाते हैं कि पापा-मम्मी क्या कहेंगे, कि मैंने अपना लक्ष्य नहीं पाया, मेरा अच्छा प्लेसमेंट नहीं हुआ तो आत्महत्या ही कर लेता हूँ; पर आत्महत्या समाधान नहीं है, हमें सामना करना है । पढ़ाई नहीं हुई, कहीं कमी रह गई तो उसका विश्लेषण करो और दोबारा से अच्छी पढ़ाई करो और आगे बढ़ो; ये नहीं कि आत्महत्या जैसा अपराध करना है। आत्महत्या करना तो दूर बल्कि उसके विचार भी नहीं आने चाहिए । जीवन का सामना करना है, भागना नहीं है । जिन्दगी में हमें हमेशा साहसी बनकर रहना है । पढ़ाई कर रहे हैं तो अच्छी तरह पढ़ें । अगर आपने क्लासवर्क, उसके बाद होमवर्क किया है और छुट्टियों में रिवीजन किया है तो परीक्षा के समय दबाव नहीं बनेगा, दबाव नहीं बनेगा तो चिंता नहीं होगी तो सदा तरो-ताजा रहेंगे, नहीं तो एक दिन उदास हो जाते हैं, फिर माइंड में गलत विचार आते हैं, कभी कोई ड्रिंक्स या ड्रग्स ले लेता है जिससे दिमाग में खराबी आ जाती है । एक गलती से कितनी सजाएँ मिल जाती हैं । इसलिए हमें अपने आप को जानना है कि ‘मैं कौन हूँ, जीवन क्या है, इस शरीर रूपी यंत्र के साथ कैसे जीना है जो मुझे मुफ्त में मिला है’। जिसने मुझे ये शरीर दिया है वो मुझसे सिर्फ एक ही उम्मीद करता है – कि मैं हमेशा “रिलैक्स” में रहूँ । रिलैक्स तभी आएगा जब आप जिन्दगी में जो भी हो रहा है उसको एक रोल की तरह समझोगे, जो कि आपको रिलैक्स में अदा करना है । अगर परेशान होते हो तो आपको पाँच मिनट में ‘कमबैक’ यानी रिलैक्स की स्थिति में वापिसी करनी है, ना कि कुछ गलत विचार आएँ कि हम ड्रिंक्स ले लेते हैं, ड्रग्स ले लेते हैं या चलो आत्महत्या कर लेते हैं । आपको मालूम होना चाहिए कि आपका ये अमूल्य शरीर, जो उस रचयिता ने दिया है, इसका कुछ भी आपने कहीं से खरीदा नहीं है, और न ही ये दिमाग खरीदा है, तो आपको इस शरीर की कद्र करनी है और हर परिस्थिति को स्वीकार करते हुए उसका सामना करना है, ना की कमज़ोर होकर भागना है। और ऐसे ही ‘रिलैक्स’ में जिए तो जीवन में मिलेगा आनंद और मृत्यु के बाद परम-आनंद।
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