Punjab media news, जालंधर: नगर निगम जालंधर में असिस्टेंट टाउन प्लानर (ATP) के पद पर तैनात रहे सुखदेव विशिष्ट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बाद उन्हें कारावास भेजा गया था। लगभग चार महीने जेल में रहने के बाद वे फिलहाल ज़मानत पर बाहर हैं। बावजूद इसके, वे अभी तक विद्या भारती जालंधर के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, सुखदेव विशिष्ट नगर निगम में सेवा के दौरान कई विवादों में घिरे रहे। विजिलेंस विभाग ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में कार्रवाई की थी। इसके चलते उन्हें कुछ समय के लिए कारावास का सामना भी करना पड़ा।
हालांकि, भ्रष्टाचार के आरोपों और निलंबन के बावजूद, विद्या भारती, जो कि भारतीय जनता पार्टी की एक प्रमुख शाखा मानी जाती है, ने अभी तक उन्हें अध्यक्ष पद से नहीं हटाया है।संस्था के अंदर और बाहर दोनों ही जगह इस फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे व्यक्ति को एक शैक्षणिक-सांस्कृतिक संगठन की अगुवाई करनी चाहिए?
सूत्रों के मुताबिक, सुखदेव विशिष्ट अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली स्तर तक पैरवी कर रहे हैं ताकि नगर निगम में अपनी नौकरी की बहाली सुनिश्चित करवा सकें।
इस मामले को लेकर संस्था से जुड़े कुछ लोगों ने भी असहमति जताई है। उनका कहना है कि “जब तक व्यक्ति पर लगे आरोपों से वह कानूनी रूप से बरी नहीं हो जाता, तब तक ऐसे संवेदनशील पदों पर बने रहना संस्था की साख को नुकसान पहुंचा सकता है।”वहीं विद्या भारती के कुछ सदस्य इसे राजनीतिक दबाव से जुड़ा मामला बता रहे हैं।
भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे अधिकारी को शिक्षा और संस्कार की पहचान रखने वाली संस्था का अध्यक्ष बनाए रखना निश्चित रूप से संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। यह मामला अब शहर की राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है।



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