पंजाब मीडिया न्यूज़, 5 दिसम्बर, 2024: Fake Doctor Arrested,गुजरात में नकली डॉक्टरों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिनका स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ रहा है। हाल ही में सूरत क्राइम ब्रांच ने एक फर्जी डॉक्टर को गिरफ्तार किया, जो फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करने का आरोपी था। वहीं, पाटन जिले में भी एक नकली डॉक्टर की धोखाधड़ी सामने आई है। इन घटनाओं ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा को भी गंभीर खतरे में डाला है।
सूरत में एक और नकली डॉक्टर का पर्दाफाश हुआ है। शोभित सिंह ठाकुर नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, जो एक बड़े नशीली दवाओं के मामले में आरोपी के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार कर रहा था। यह मामला तब सामने आया जब आरोपी ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए यह सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया। जांच में यह पाया गया कि सर्टिफिकेट पूरी तरह से नकली था और इसे ठाकुर ने तैयार किया था।
इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने ठाकुर की गिरफ्तारी की और यह पाया कि वह पहले भी कई नकली मेडिकल सर्टिफिकेट बना चुका था। इनमें से कुछ सर्टिफिकेट अदालतों में पेश किए गए थे, और अब पुलिस यह जांच रही है कि इन दस्तावेजों का उपयोग किन-किन मामलों में हुआ। अधिकारियों का मानना है कि इस मामले में बड़े खुलासे हो सकते हैं, और यह भी हो सकता है कि इस व्यक्ति का कोई बड़ा नेटवर्क हो।
सूरत के बाद पाटन जिले में भी एक और नकली डॉक्टर की पहचान हुई है। सुरेश ठाकुर नामक व्यक्ति ने 1.20 लाख रुपये लेकर एक अनाथ बच्चे को गोद दिलाने का झूठा दावा किया। इस दौरान, बच्चे की तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे हाइड्रोसिफलस बीमारी का पता चला।
यह मामला पूरी तरह से एक धोखाधड़ी का था, और बाद में एसओजी पुलिस ने उसकी क्लिनिक पर छापा मारा। सुरेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया और उसकी गतिविधियों की जांच की जा रही है। यह मामला इस बात को और स्पष्ट करता है कि नकली डॉक्टर न केवल मरीजों के जीवन से खेल रहे हैं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को भी ठग रहे हैं।
गुजरात में नकली डॉक्टरों के बढ़ते मामलों ने चिकित्सा सेवाओं की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रही इस तरह की धोखाधड़ी से न केवल मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है, बल्कि चिकित्सा प्रणाली की विश्वसनीयता भी प्रभावित हो रही है। जब डॉक्टर बिना प्रमाणपत्र के इलाज करते हैं, तो यह न केवल चिकित्सीय गलतियों का कारण बनता है, बल्कि मरीजों के जीवन को भी जोखिम में डालता है।
इन घटनाओं के बाद, प्रशासन और अधिकारियों का कहना है कि वे ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। वहीं, पुलिस भी इस बात की जांच कर रही है कि इस प्रकार की धोखाधड़ी में और कौन लोग शामिल हो सकते हैं और क्या यह एक बड़ा नेटवर्क है।
गुजरात प्रशासन ने नकली डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। क्राइम ब्रांच और एसओजी पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे मामलों की तुरंत जांच करें और जो लोग स्वास्थ्य सेवा में धोखाधड़ी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करें।
साथ ही, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी चिकित्सा प्रमाणपत्रों की पुनः जांच करने की योजना बनाई है और अस्पतालों, क्लीनिकों, और मेडिकल संस्थानों की नियमित निगरानी बढ़ाई जाएगी। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि यदि वे किसी संदिग्ध डॉक्टर या सेवा के बारे में जानते हैं, तो इसकी सूचना तुरंत अधिकारियों को दें।
चिकित्सा धोखाधड़ी के मामलों से बचने के लिए नागरिकों को सतर्क और जागरूक होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति इलाज के लिए संदिग्ध डॉक्टर के पास जाने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि डॉक्टर के पास मान्य प्रमाणपत्र है। नागरिकों को यह भी समझना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवाओं में गलत जानकारी और धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
गुजरात में नकली डॉक्टरों के बढ़ते मामलों ने राज्य की चिकित्सा प्रणाली को एक गंभीर चुनौती दी है। यह आवश्यक है कि प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, और नागरिक मिलकर इस खतरे से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। जिससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो, बल्कि मरीजों का विश्वास भी बहाल किया जा सके।
(रिपोर्ट: विशेष संवाददाता, गुजरात)
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