Punjab media news :दो नंबर यानी बिना जी.एस.टी. अदा किये स्क्रेप मंगवाने वाले ट्रेडर्स और बिना बिल के ही स्क्रैप को दूसरे राज्यों से लाने वाले पासरों में आपसी कारोबार अंर्तराष्ट्रीय मोबाइल नंबरों व इंटरनेट नंबरों से बने व्हटस-अप ग्रुप के जरिये होती है। यह इसलिए किया जाता है ताकि पासर जांच एजेंसियों की नजर से बचे रहे। इसी के जरिये रोजाना करोड़ो रुपये की जी.एस.टी. की चोरी हो रही है और सरकार का खजाना खाली होता जा रहा है।
बेशक, पंजाब के वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा दावा करते है कि उनकी सरकार आने के बाद से रेवेन्यू में इजाफा हुआ है। लेकिन असल में सरकारी खजाने में जितनी बढ़ोतरी दर्ज होनी चाहिए थी वह नहीं हो पाई। वजह साफ है कि अफसरों की मिलीभगत से अधिकतर रेवेन्यू का पैसा दो नंबर में उनकी जेब में जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूरे पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में 30 से 35 तरह के व्हटस-अप ग्रुप चल रहे है। यह ग्रुप दो तरह के है। पहला ग्रुप ट्रेडर्स और पासरों का है। जिसमें ट्रेडर्स पासरों को अपनी गाड़ी नंबर बताते है और कब वहां से चलेगी उसकी जानकारी दी जाती है। दूसरा ग्रुप पासर और मोबाइल विंग के अफसरों का है जिसके जरिये पासर अफसरों को गाड़ी नंबर व्हटस-अप ग्रुप में भेजते है जिन्हें देखकर अफसर उन गाड़ियों को बिना बिल के आराम से जाने देते है और जो गाड़िया पासरों के जरिये पंजाब में नहीं आती उन्हें जबरदस्ती रोकर जांचा जाता है और उन पर कोई न कोई नुक्स निकाल कर भारी जुर्माना ठोक दिया जा रहा है।
इसके अलावा एक तीसरा व्हटस-अप ग्रुप पासर और मोबाइल विंग के उन अफसरों के ड्राइवर और उनके गनमैनों का जिन्हें सरकार ने ऐसी जगह तैनात कर रखा है जहां से पंजाब में आने वाली गाड़ियों की संख्या बहुत कम है। इसकी मुख्य वजह उनकी ईमानदारी और जिम्मेदार के साथ नौकरी करना है। यह रूट राजस्थान से पंजाब में आने वालों का है। इस रूट पर तैनात अफसरों के गनमैन व ड्राइवर पहले ही पासरों को आगाह कर देते है कि आज साहिब की डयूटी कितने से कितने बजे तक है। इसलिए ट्रकों की आवाजाही न की जाये। यानी कुछ अफसर और कुछ अफसरों के करिंदे ही जीएसटी चोरी करवाने में सबसे ज्यादा दिलचस्पी रखते है।

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