वो महानतम मार्शल आर्टिस्ट था।
वो पंद्रह सौ पुशअप कर सकता था,दो सौ टू फिंगर्स पुशअप।
(Pmn):वो एक इंच दूर से पंच कर किसी फाइटर को धराशायी कर सकता था। कोक कैन में अपनी उँगली के प्रहार से छेद कर सकता था । वो एक बार में नौ पंच कर सकता था और एक बार में सात किक।
उसकी मृत्यु के आधी सदी बाद भी
उस जैसी विध्वंसक साइड किक कोई आज तक नहीं कर सका। एक सौ अठारह मील प्रति घंटा की रफ्तार से मारी उसकी साइड किक दो सौ पाउंड वजन के शख्स को बारह फीट दूर फेंक सकती थी।
फिल्मों में निर्देशकों को उससे अपनी गति कम करने के लिए कहना पड़ता था, ताकि कैमरा उसके एक्शन्स को कैप्चर कर सके।
उसके देश के मार्शल आर्ट गुरुओं ने जब उससे देश के बाहर के लोगों को अपनी और उसकी राष्ट्रीय कला के रहस्य सिखाने के लिए मना किया तो उसका जवाब था,
” इस आसमान के नीचे हम सब इंसान भाई भाई हैं।”
वह एक दार्शनिक योद्धा था।
उसने कहा था,” पानी का न कोई आकार होता है न यह ठोस होता है , लेकिन यह मजबूत से मजबूत, ठोस चट्टान को काट सकता है। तरल बन जाओ, पानी बन जाओ।”
उसने कवितायें भी लिखी थीं।
वो महज साढे बत्तीस बरस जिया था।
वो नर्तक था, वो सवा सौ साल में हुआ नंबर एक मार्शल आर्टिस्ट था,वो दार्शनिक था,कवि था,रफ्तार का शाहजादा था।
वो ‘ असंभव ‘ की अवधारणा को बार-बार तोड़ने वाला शख्स था।
वो जब जहाँ था, शानदार था। वो इंसान नहीं, करिश्मा था।
वो भूतो न भविष्यति था।
वो महान था।
वो ब्रूस ली था।