बौद्ध सभ्यता की खोज में जिन पुरातत्वविदों का महत्वपूर्ण योगदान है, उनमें एलेक्जेंडर कनिंघम का नाम सबसे ऊँचा है।
एलेक्जेंडर कनिंघम ने ही नालंदा और तक्षशिला जैसे बौद्ध ज्ञान – केंद्रों की खोज की थी।
एलेक्जेंडर कनिंघम ने ही सारनाथ और बोध गया जैसे बौद्ध – स्थलों की खोज की थी।
एलेक्जेंडर कनिंघम ने ही साँची और भरहुत जैसे बौद्ध – स्तूपों की खोज की थी।
एलेक्जेंडर कनिंघम यदि और कुछ न भी किए होते, तब भी केवल बौद्ध सभ्यता की खोज के लिए उनका स्थान उन चोटी के पुरातत्वविदों में है, जिन्होंने प्राचीन मिस्र, सिंधु घाटी और बेबिलोनिया की सभ्यता खोज निकाली थी।
प्रिंसेप ने कनिंघम के बारे में लिखा है कि वे इतने प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों तथा कृतियों को प्रकाश में ला सके हैं, जिनके सामने मुझे तो लगता है कि मैं अकर्मण्य रहा हूँ।
सहसा विश्वास ही नहीं होता है कि सेना का एक आदमी भारत के इतिहास को इतना कैसे बदल दिया!
सही है कि आपका शरीर इंग्लैंड का बना हुआ था, मगर दिल बौद्ध भारत के लिए धड़कता था।
आज एलेक्जेंडर कनिंघम का जन्मदिन है, बधाई सर!