Punjab media news : पंजाब में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इस बार पटियाला से कांग्रेस की उम्मीदवार डॉ. नवजोत कौर सिद्धू हो सकती हैं। फिलहाल पटियाला से परनीत कौर सांसद है। हाल ही में कांग्रेस ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। उनके पति पूर्व मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी पहले BJP में शामिल हो चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगले चुनाव में परनीत कौर भाजपा की तरफ से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।
इस कारण पटियाला सीट से कांग्रेस डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को टिकट देने का विचार कर सकती है। बीते दिन एक धार्मिक समारोह दौरान डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा कि यदि लोगों का विश्वास और प्यार मिला तो वह जरूर चुनाव लड़ सकती हैं। नवजोत सिंह सिद्धू जेल से बहुत कुछ सीखकर निकलेंगे और दोगुनी ताकत से जनता की सेवा में काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पहले ही कई बड़े पदों से इनकार कर चुके हैं। सिद्धू ने कभी पंजाब की खुशहाली को लेकर समझौता नहीं किया। बीते दिनों जब नवजोत सिंह सिद्धू की रिहाई को लेकर आप सरकार ने कैबिनेट की मीटिंग नहीं बुलाई तो नवजोत कौर ने आप सरकार पर कई तरह के कटाक्ष किए थे।
कैप्टन से हमेशा बनाई सिद्धू ने दूरी
पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू जनवरी 2017 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके बाद पंजाब में उन्हें पर्यटन मंत्रालय मिला। मंत्री रहते हुए सिद्धू उस वक्त विवाद में आ गए थे, जब मई 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण में गए। वहां सिद्धू के पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर कैप्टन अमरिंदर ने विरोध जताया था।
इसके बाद नवंबर में जब सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास के दौरान पाकिस्तान गए तो अमरिंदर ने कहा था कि सिद्धू हाईकमान की परमिशन के बिना वहां गए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उस वक्त विवाद और गहरा गया, जब लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें अमरिंदर की वजह से अमृतसर सीट से टिकट नहीं मिला। वहीं, सिद्धू ने भी पत्नी का समर्थन किया था। हालांकि, अमरिंदर ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था।
कैबिनेट मीटिंग में न पहुंचने पर बदला विभाग
जून 2019 में जब सिद्धू एक कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे थे तो उस दौरान 6 जून को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनका विभाग बदल दिया। सिद्धू से महत्वपूर्ण माना जाने वाला स्थानीय शासन विभाग ले लिया गया और उन्हें बिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग का प्रभार दिया गया था। हालांकि, सिद्धू ने नए मंत्रालय का प्रभार नहीं संभाला।
10 जून को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में मिले थे। उसी दिन पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम से संबोधित इस्तीफा दे दिया था, मगर फिर इस बात का खुलासा जुलाई में हुआ, जब उन्होंने त्यागपत्र को सोशल मीडिया पर शेयर किया था। इसके बाद सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को जल्द इस्तीफा भेजने की जानकारी सोशल मीडिया पर दी थी।
डॉक्टर की नौकरी छोड़ आई थीं राजनीति में
डॉ. नवजोत कौर सिद्धू पेशे से डॉक्टर हैं। 2012 में राजनीति में आने के लिए इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गई। अमृतसर पूर्व से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 6 हजार के करीब वोटों से हराकर विधानसभा पहुंची थी। उन्हें मुख्य संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। फिर उनका परिवार भाजपा में शामिल हो गया, लेकिन बाद में भाजपा छोड़ कांग्रेस में आ गए तो 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर से विधायक चुनी गई।