मैथिल ब्राह्मण ओइनवार साम्राज्य और उस वंश के महान वीर महाराज ठाकुरनाथ सिंह और महाराज शिवा सिंह का इतिहास।
सन् 1223, मिथिला प्रदेश पर कर्णाट लोगों का राज्य था। उसी राज्य में एक गांव् था ओइनी। वहां के मुखिया था ठाकुरनाथ सिंह जो की एक मैथिल ब्राह्मण थे।
वह एक दक्ष योद्धा था और उसके पास बहादुर लड़ाके थे। कर्णाट वंशजों के शासन से जनता खुश नही थी। ठाकुरनाथ ने अपने लोगों को साथ लेकर सशस्त्र विद्रोह किया और युद्ध में विजयी हुआ। कर्णाट लोगों को सत्ता से हटना पड़ा और नींव पड़ी ओइनवार dynasty की। ओइनी गाँव के नाम पर इन्हें ओइनवार कहा जाने लगा।
ठाकुरनाथ सिंह के वंशजों ने मिथिला पर 200 से अधिक साल तक हुकूमत की। यह वो दौर था जब भारत इस्लामिक आक्रमण के शुरूआती हमलों से गुजर रहा था। इसी दौरान राजा बने महाराज शिवा सिंह। वह ओइनवार वंश के राजा देवा सिंह के बेटे थे।
शिवा सिंह के समय मिथिला का गौरव, शौर्य, समृद्धि काल अपने शिखर पर पहुंचा। महान भूमिहार ब्राह्मण कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था की महाराज शिवा सिंह के दौर का निर्माण, साहित्य, पांडुलुपियां आदि भारत के साहित्य का अमूल्य खजाना हैं।
शिवा सिंह एक महान शासक के साथ साथ एक अच्छे युद्ध रणनीतिकार भी थे। शिवा सिंह ने मिथिला को पूर्ण रूप से इस्लामिक शासन से मुक्त कराने की सोची थी और यही उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य था। वो इसके लिए लगातार युद्ध करते रहे और मिथिला को स्वंतत्र घोषित कर दिया। इस बात से जौनपुर का इस्लामिक बादशाह इब्रह्मिम शाह तिलमिल्ला गया। वो खुद बड़ी सेना लेकर मिथिला पर चढ़ाई करने आ गया। युद्ध हुआ जिसमें महाराज शिवा सिंह घायल होकर वीरगति को प्राप्त हो गए पर मिथिला युद्ध जीत गया। शिवा सिंह के बाद उनकी पत्नी रानी लक्षिमा देवी ने राजपाठ सम्भाल लिया।
सन् 1518 में इब्राहिम लोधी ने भारत पर हमला किया। इनका ओइनवारों के साथ भी युद्ध हुआ। उस समय राजा थे ओइनवार लक्ष्मी सिंह। इस युद्ध में 200 साल तक इस्लामिक आतंकरियों से मिथिला को बचा कर रखने वाले और सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने वाले ओइनवारों की हार हुई। राजा लक्ष्मी सिंह भी मारे गए और सिकन्दर लोधी ने मिथिला पर कब्जा कर लिया। हालाँकि छोटे छोटे टुकड़ों में बंटे ब्राह्मण और राजपूत विद्रोहियों ने उसे लम्बे समय तक परेशान करके रखा और उसकी शक्ति खत्म कर दी।