दुनियाभर में बुधवार रात चांद की चमक कुछ ज्यादा नजर आई। यूं तो हर पूर्णिमा को पूरा चांद यानी फुल मून दिखाई देता है, लेकिन बुधवार रात साल का पहला सुपर मून 15% ज्यादा चमकीला नजर आया, तो इसका आकार भी सामान्य से 7% बढ़ा हुआ था।
सुपरमून तब होता है, जब पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है। इस वजह से चांद ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। ऐसा ही संयोग पिछले महीने भी बना था, जब पूर्णिमा के दिन चांद का रंग पूरी तरह लाल हो गया था।
देश की बात करें तो दिल्ली, हरियाणा, बिहार और अजमेर में चंद्रमा अपनी पूरी सफेदी के साथ नजर आया। वहीं दुनिया के तमाम बड़े शहरों में भी इसका आकार और चमक सामान्य से ज्यादा है।
क्या होता है सुपरमून?
सुपरमून एक ऐसी खगोलीय घटना है, जिसमें चांद अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा दिखाई देता है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, सुपरमून नॉर्मल चांद के मुकाबले 7% बड़ा दिखता है। साथ ही यह 15% ज्यादा चमकीला भी नजर आता है। सुपरमून हर साल तीन से चार बार देखा जाता है।
सुपरमून दिखने की वजह भी काफी दिलचस्प है। दरअसल, इस दौरान चांद धरती का चक्कर लगाते-लगाते उसकी कक्षा के बेहद करीब आ जाता है। इस स्थिति को पेरिजी (Perigee) कहा जाता है। वहीं, चांद के धरती से दूर जाने पर उसे अपोजी (Apogee) कहते हैं। एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल ने पहली बार 1979 में सुपरमून शब्द का इस्तेमाल किया था।
अगले तीन दिन दिखेगा फुल मून
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक अगले तीन दिन भी चांद धरती के करीब ही देखा जाएगा। इसे फुल मून कहा जा सकता है, लेकिन यह असल में पूर्णिमा नहीं होगी। सिर्फ चांद के आकार की वजह से ही यह फुल मून प्रतीत होगा।
सुपरमून दिखाई देने की अगली घटना अगले साल 3 जुलाई को होगी। सुपरमून और पूर्णिमा का एक साथ होना दुर्लभ है, इसलिए आज सुपरमून देखने से आपको चूकना नहीं चाहिए।