(pnn)StopWar:द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) लगभग 6 साल तक चला जो इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है। इसमें लगभग 5 करोड़ लोगों की मौत हुई और करोड़ों लोग घायल हुए, वहीं हिरोशिमा और नागासाकी (जापान) में परमाणु बम ने जो नुकसान पहुंचाया उसके निशान आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी देखने को मिल रहे हैं।
विश्व में शांति युद्ध से नहीं बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान से संभव है।प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) लगभग 4 साल से अधिक समय तक चला। जिसमें लगभग 10 करोड़ व्यक्तियों की मौत के अलावा अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ।
इतिहास देख लो, युद्ध से शांति कभी नहीं हो सकी बल्कि युद्ध से हाहाकार मच जाता है। लोगों को रोजी रोटी की समस्या से जूझना पड़ता है।युद्ध से केवल और केवल विनाश होता है और इंसान जीत कर भी हार जाता है। लेकिन शांति और भाईचारे से देश तो क्या दिल भी जीत लिए जाते हैं।युद्ध के नुकसान : मार-काट होना, लोगों में आपसी द्वेष होना, अन्य राज्यों या देशों के लिए बुरी छवि बनना, आम लोगों के मन में भय बैठना, परिवारों का बिखरना, अराजकताएँ फैलना, विस्फोटक पदार्थों से पर्यावण को नुक्सान होना आदि।हैरानी होती है उस समय जब पर्यावरण सरंक्षण की बात करने वाले बड़े बडे राजनेता पर्यावरण मे जहर घोलने वाले युद्ध को चुनते हैं।युद्ध से शांति सम्भव नहीं
युद्ध से दोनों ही पक्षों का नुकसान ही होता है। हजारों और लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ होते हैं, महिलाएं विधवा होती हैं। लोग अपनी जन्मभूमि से मजबूरन विस्थापित होते हैं।हिरोशिमा नागासाकी का वो नरसंहार इतिहास के पन्नों में पढ़कर ही हमारी रूह कांप जाती है।
जिन्होंने यह भुगता है और उस समय के साक्षी हैं सोचिए जरा इतिहास दोहराए जाने का डर उन्हें कैसे सता रहा होगा।