[ad_1]
- निजी अस्पतालों को कोविड का इलाज करने की अनुमति के बाद बिल में गड़बड़ी शुरू हुईं
- इंश्योरेंस इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक ये क्लेम करीब 20 करोड़ रुपए के हैं
पंजाब मीडिया न्यूज़
May 06, 2020, 07:50 PM IST
नई दिल्ली. नॉन-लाइफ बीमाकर्ताओं को 4 मई, 2020 तक लगभग 1000 नोवल कोरोनावायरस (COVID-19) क्लेम मिले हैं। इंश्योरेंस इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक ये क्लेम करीब 20 करोड़ रुपए के हैं। हालांकि, एवरेज क्लेम अमाउंट लगभग 2 लाख रुपए तक है। मनी कंट्रोल के मुताबिक इस बारे में एक प्राइवेट जनरल बीमा कंपनी के एक सीनियर एग्जीक्यूटिव ने बताया कि कुछ दावे 2 से 3 लाख रुपए के करीब हैं। जबकि कुछ मामलों में हॉस्पिटलाइजेशन का बिल 12 लाख रुपए तक है।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल में डेटा जमा हो रहा
बीमाकर्ताओं ने अब ट्रेंड को समझने और किसी भी तरह के गलत क्लेम चार्ज की पहचान करने के लिए डेटा कलेक्ट करना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार द्वारा 25 मार्च से मरीजों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों को अनुमति देने के बाद कोविड-19 के दावों ने इंश्योरेंस इंडस्ट्री में गड़बड़ी शुरू हो गई हैं। इंश्योरेंस इंडस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, “हम अपना डेटा जनरल इंश्योरेंस काउंसिल को नियमित रूप से जमा कर रहे हैं। इस प्रक्रिया का काम अभी प्रगति पर है। हम पैटर्न को स्टडी करने और चार्ज में हो रही गड़बड़ियों पर नजर रखने के लिए ये योजना बना रहे हैं।”
भर्ती खर्चों में समानता लाने की कोशिश
नॉन-लाइफ बीमाकर्ता कोविड-19 से संबंधित अस्पतालों में भर्ती खर्चों में समानता लाने की कोशिश कर रहे हैं। पैरामाउंट हेल्थकेयर में थर्ड-पार्टी एडमिस्ट्रेटर के मैनेजिंग डायरेक्टर, नयन शाह ने कहा, “कोविड-19 पर आने वाले उचित खर्च को लेकर एक आम सहमति से काम किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, कई मास्क और दस्ताने का उपयोग हो रहा है। जो रोगी के संपर्क में आता है फिर चाहे डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय और अन्य सभी को मास्क और दस्ताने पहनने पड़ते हैं। इन दस्ताने और मास्क को 8 घंटे में कम से कम एक बार बदलना होता है। हमें उम्मीद है कि इसमें जल्द ही स्पष्टता सामने आएगी।”
उन्होंने आगे कहा, “इंडस्ट्री उन खर्चों को निर्धारित करने का प्रयास करेगी, जो स्वीकार्य हैं और जो बहिष्करण में उपयोगी हैं। जैसे, पुणे में एक अस्पताल में बिल में पीपीई किट की कीमत लगभग 80,000 रुपए थी, जिसे बीमा कंपनी ने भुगतान करने से इनकार कर दिया। TPA के रूप में हम बीमा कंपनियों के कॉल पर निर्भर करते हैं।”
अलग-अलग तरह से बनता है बिल
कोविड-19 के इलाज के प्रमुख कारणों में सह-रुग्णताएं (पूर्व-मौजूदा बीमारियों), पृथक वार्डों, वेंटिलेटर और पीपीई किट की आवश्यकता शामिल हैं। आईसीआईसीआई लोंबार्ड के अंडरराइटिंग, क्लेम और रिइंश्योरेंस के चीफ संजय दत्त ने कहा, “अस्पतालों और कमरों की पसंद, दी जाने वाली देखभाल के प्रकार, साथ ही एक पॉलिसी में डिड्क्टेबल्स और सह-भुगतान के आधार पर क्लेम का भुगतान तय होता है।” अस्पताल में भर्ती होने पर डॉक्टर की फीस, ऑपरेशन थिएटर चार्ज, एनेस्थेटिस्ट चार्ज चुने गए कमरे की कैटेगरी से जुड़े होते हैं। तो इलाज में हायर रूम रेंट के साथ दूसरे चार्जेज भी रेशियो के आधार पर ज्यादा होंगे।”
सिक्योरनाउ.इन के को-फाउंडर और सीईओ, कपिल मेहता ने कहा, “कोविड-19 के साथ-साथ यदि मरीज डायबिटीज और अस्थमा से पीड़ित है, तो अस्पताल में भर्ती खर्च भी अधिक होगा। इसलिए, उन शर्तों को भी प्रबंधित किया जाना चाहिए। प्रशासित एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की लागत भी अधिक है।”
आरोप की सत्यता जांचने की कवायद
इंश्योरेंज इंडस्ट्री के एक वर्ग का मानना है कि चार्ज में मानकीकरण की कमी के चलते अस्पताल बढ़े हुए बिलों बना रहे हैं। एक निजी बीमा कार्यकारी ने कहा, “हमारे पास अस्पतालों पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और न ही इंश्योरेंस रेगुलारिटी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के पास, क्योंकि यह अस्पतालों को विनियमित नहीं करता है। लेकिन हम कोविड-19 क्लेम को लेकर किए गए दावों के डेटा कलेक्ट करके ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आरोप कितने सही हैं। इसे जीआई काउंसिल के माध्यम से IRDAI को प्रस्तुत किया जाएगा।”
राज्य सरकार देगी निवासियों को बीमा
निजी अस्पतालों ने कोविड-19 रोगियों को ओवरचार्ज करने की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एक निर्देश कैपिंग शुल्क जारी किया। इस बारे में शाह ने कहा, “सरकार अब सभी राज्य निवासियों को बीमा कवर प्रदान करेगी। कैप्ड टैरिफ को जीआईपीएसए पीपीएन पैकेज से जोड़ा जाएगा और निजी सहित पूरे राज्य के अस्पतालों में लागू किया जाएगा।” जनरल इंश्योरेंस पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन (GIPSA) एक इंश्योरेंस निकाय है जिसमें चार सार्वजनिक क्षेत्र के सामान्य बीमाकर्ता – न्यू इंडिया, यूनाइटेड इंडिया, नेशनल इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस शामिल हैं।