जालंधर : (पवन कुमार)महानगर में सियासत करवटें के फायदे रहते हैं और ये करवटें चुनावी भी होते हैं और परिवार भी। इन करवटों का असर किसी न किसी पार्टी के संबंधियों और पार्टी की कमजोरियों पर पड़ता है।
हाल ही में बीबीसी की ओर से विभिन्न अधिकारियों के नामों की घोषणा की गई है। इन नामों में कुछ नाम आपत्तिजनक हैं। आपत्तिजनक तरीके से आपत्तिजनक तरीके से आपत्तिजनक बयान देने की तैयारी में हैं। बगावती का झंडा फहराने वाले बीजेपी के पुराने खो जैमरी का कहना है कि आने वाले दिनों में वे प्रचार अभियान और निगम चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने की बजाय घर बैठे सही समझेंगे ताकि किस पार्टी में उनका गठन समर्थन नहीं मिला, उसके लिए क्यों मेहनत करें करें। दरअसल वेस्ट हलके में जिन मंडल प्रधानों के नामों की घोषणा की गई है उनमें से एक नाम मंडल के 10 प्रधानों का भी है।सीट गुजां में रहने वाले एक भाजपा कार्यकर्ता ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि इस सीट पर उसका नाम तय किया गया था, लेकिन पश्चिम विधानसभा चुनाव में दो बार चुनाव हारने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता ने किसी और मंडल के प्रधान के बजाय अपना नाम स्पष्ट किया निर्देश दिया।
जांच चौकी कार्यकर्ता का कहना है कि वह 20 साल से निशान से है और गली-गली मोहल्ले-मोहल्ले में भाजपा की लेहिया को घर-घर पहुंचाने का काम कर रहा है। पार्टी के ओबीसी मोर्चों में उनके सचिव, कैशियर आदि कई पदों पर जिम्मेवारियां मिलीं और उन्होंने बाखूबी इन जिम्मेवारियों को रूप दिया। उन्हें इस रूप में रखा गया था कि पार्टी उन्हें पूरी तरह से सम्मान देती है मंडल 10 के प्रधानगी सौंपेगी लेकिन चुनाव में चुनावी हार का बार-बार स्वाद चखने वाले इस नेता ने केवल अपने बेटे की यारी के लिए प्रधानगी किसी और को सौंपी।इसलिए जब पार्टी में परिवारवाद ही चलता है तो फिर इस पार्टी के लिए मेहनत करने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। तय गुजां के रहने वाले इस बीजेपी नेता ने साफ तौर पर कहा है कि आने वाले दिनों में हाईकमान को इस मामले की शिकायत होगी क्योंकि पहले ही वेस्ट हलके में बीजेपी का ग्राफ नीचे जा रहा है और अगर संबंधित वरिष्ठ नेता ने मनमर्जी बंद की नहीं की तो पार्टी को निगम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ेगा।