Punjab media news : हिंदू आतंकवाद’ को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। आरटीआई एक्टिविस्ट प्रफुल्ल पी शारदा ने कहा है कि कुछ राजनेताओं ने तुष्टीकरण की राजनीति के लिए ‘हिंदू या भगवा आतंकवाद’ शब्द गढ़ा है। बता दें कि शारदा ने भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के विवरण की मांग करते हुए एक आरटीआई आवेदन दायर किया था।
एक्टिविस्ट ने अपने आरटीआई आवेदन में यह जानकारी मांगी थी कि भारत में कितने आतंकी संगठन सक्रिय हैं उन्होंने इन संगठनों के नाम और विवरण मांगे थे। साथ ही शारदा ने भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विवरण मांगते हुए हिंदू या भगवा आतंकवाद (यदि कोई है)’ शब्द के बारे में जानकारी मांगी थी।
शारदा ने गृह मंत्रालय से यह भी पूछा था कि उसके रिकॉर्ड के अनुसार, 2006 के मालेगांव बम विस्फोट या किसी बम विस्फोट में ‘हिंदू या भगवा’ आतंकवादी शामिल थे या नहीं। आरटीआई एक्टिविस्ट ने ‘इस्लामी आतंकवाद’ नाम वाले संगठनों के बारे में पूछा था कि क्या इस तरह के संगठन भारत में किसी बम विस्फोट में शामिल थे।
एक्टिविस्ट ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिया गया जबाव साफ तौर पर हिंदू या भगवा आतंकवाद के किसी भी संबंध या शब्द को खारिज करता है। शारदा ने कहा, “मैं न केवल एक भारतीय के रूप में बल्कि एक हिंदू के रूप में भी बहुत आहत हूं। केवल एक विशेष समुदाय के वोटों को लेने के लिए, कुछ राजनीतिक नेता बार-बार इस देश में करोड़ों हिंदुओं को बदनाम करते हैं और हिंदू या भगवा आतंकवाद जैसे फर्जी शब्द को गढ़ने की कोशिश करते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि हिंदू आतंकवाद मौजूद नहीं है, लेकिन आरटीआई का जवाब स्पष्ट रूप से दिखाता है कि इस्लामी आतंकवाद मौजूद है और दुनिया भर में इतने सारे निर्दोष लोगों को मारकर दुनिया को परेशान करता है।
गृह मंत्रालय ने आरटीआई के जवाब में कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की धारा 35 के तहत 42 संगठनों को ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित किया गया है। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों में बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, लश्कर-ए-तलबा, पसबन-ए-अहले हादी, जैश-ए शामिल हैं।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने के लिए सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की ताकत को बढ़ाना, पुलिस बल का आधुनिकीकरण, विशेष बलों की क्षमता निर्माण, सख्त अप्रवासन नियंत्रण, प्रभावी सीमा प्रबंधन, चौबीसों घंटे निगरानी और सीमाओं पर गश्त; निगरानी चौकियों की स्थापना, सीमा पर बाड़ लगाना, फ्लडलाइटिंग, आधुनिक और हाई-टेक निगरानी उपकरणों की तैनाती; खुफिया व्यवस्था का उन्नयन और तटीय सुरक्षा, आदि शामिल हैं।