Punjab media news : ओडिशा के बालासोर रेल हादसे के बाद ट्रेनों को एक्सीडेंट से बचाव के लिए सभी रेल गाड़ियों को कवच तकनीक से लैस किए जाने की बात होने लगी है. हालांकि, यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि सभी ट्रेनों में इस एक्सीडेंट प्रूफ टेक्नोलॉजी को इन्स्टॉल करने के लिए रेलवे रूट्स पर काफी काम करने की जरूरत है इसलिए यह कवच प्रणाली सिर्फ चुनिंदा ट्रेनों में लगी हुई है. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान CPI सांसद ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से ‘कवच’ प्रणाली पर कई सवाल पूछे और उन्होंने बताया कि आखिर देश में कितनी ट्रेनों में यह सिस्टम लगा हुआ है.
स्वदेशी रूप से विकसित ‘कवच’ स्वचालित सुरक्षा तकनीक पिछले महीने ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना के बाद से चर्चा में है. इस हादसे में करीब 300 यात्रियों की जान चली गई और 800 से ज्यादा लोग घायल हो गए. एक्सीडेंट के बाद रेलवे ने बताया था कि इस रेलवे रूट पर ‘कवच’ स्थापित नहीं किया गया था.
ये ट्रेनें कवच प्रणाली से लैसएचटी की रिपोर्ट के अनुसार, सीपीआई बिनॉय विश्वम ने संसद में पूछा कि देश की कुल ट्रेनों में से कितनी ट्रेनों में ‘कवच’ लगाए गए हैं. इस सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया कि दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद डिवीजन (30), हैदराबाद डिवीजन (56), गुंतकल डिवीजन (28) और विजयवाड़ा डिवीजन (7) से संबंधित कुल 121 लोकोमोटिव (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक सहित) ‘कवच’ से लैस हैं. रेलमंत्री ने कहा, “कवच फिटेड इंजनों से चलने वाली ट्रेनें लोको लिंक के अनुसार रेलवे की परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार बदलती रहती हैं.”