Punjab media news : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपनी जमानत के समर्थन में फर्जी सूचना का अधिकार (आरटीआई) जवाब पेश करने से जुड़े मामले में राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने सोमवार को स्वयंभू संत आसाराम (Asaram Bapu) को जमानत दे दी, लेकिन फिलहाल उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा. नाबालिग का यौन उत्पीड़न का दोषी आसाराम जेल से बाहर नहीं आ सकेगा. आसाराम को जमानत देते हुए उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ के न्यायमूर्ति कुलदीप माथुर ने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत फर्जी आरटीआई जवाब गढ़ने में याचिकाकर्ता की कोई सीधी भूमिका नहीं थी और उसके द्वारा किए गए कथित अपराध मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा विचार किए जाने योग्य है.
अपने ‘गुरुकुल’ की नाबालिग से यौन उत्पीड़न के दोषी आसाराम को साल 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. अदालत ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि सह-आरोपी रविराय मारवाह को पहले ही जमानत मिल चुकी है और मुकदमे के लंबे समय तक चलने की संभावना है.
2016 में किया गया था मामला दर्ज
आसाराम के समर्थकों में से एक मारवाह ने 2016 में जमानत के उद्देश्य से सर्वोच्च न्यायालय में स्वयंभू संत की स्वास्थ्य स्थिति से संबंधित फर्जी आरटीआई जवाब जमा किया था. इसके बाद आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
दस्तावेज कथित रूप से जोधपुर जेल से गणेश कुमार नामक व्यक्ति द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन के माध्यम से प्राप्त किया गया था. इसके बाद इसे मारवाह को प्रदान किया गया था. मारवाह ने बाद में इसे शीर्ष अदालत में आसाराम के वकील को सौंप दिया था, लेकिन बाद में पता चला कि यह दस्तावेज फर्जी है.