- मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह से कराधान विभाग का कार्यभार वापस ले लिया
- बुधवार को मंत्रियों के साथ देते हुए कई विधायक जुड़े, सभी ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर जमकर भड़ास निकाली
पंजाब मीडिया न्यूज़
May 13, 2020, 07:25 PM IST
चंडीगढ़. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को राज्य में नई शराब नीति को मंजूरी दे दी है। इसको लेकर शराब कारोबारी विरोध में सामने आए हैं। कई शराब कारोबारियों का कहना है कि वह आज से ही दुकान खोलने के हक में हैं, लेकिन होम डिलीवरी की सुविधा नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि, होम डिलीवरी को अभी ऑप्शनल ही रखा जा सकता है। साथ ही मंत्रियों की नाराजगी कम नहीं हुई है। कुछ और विधायक भी मंत्रियों के साथ आन मिले हैं। उन्होंने ट्वीट करके सीएस के खिलाफ नाराजगी जताई है।
दरअसल, बीते दिनों मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को प्रदेश में शराब की दुकानें खोले जाने की अनुमति संबंधी पत्र लिखा था। इस पत्र में कैप्टन ने लिखा था कि राज्य की सरकार को शराब से 521 करोड़ का राजस्व घाटा हर महीने हो रहा है। कर्फ्यू के माहौल में अब तक सरकार को 600 करोड़ का राजस्व घाटा होने की बात भी की जा रही है।
हालांकि केंद्र की अनुमति के बाद पिछले कई दिन से राज्य में शराब की दुकानें खुली भी हैं, वहीं नई एक्साइज नीति को लेकर माहौल गर्म है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक, किसी भी शराब की दुकान पर एक वक्त में पांच लोग ही खड़े हो सकते हैं, जबकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा। दूसरी ओर शराब की होम डिलीवरी को लेकर बीते दिन पंजाब कैबिनेट मंत्रियों और पंजाब के कैबिनेट सचिव के बीच बहस हो गई थी। नई आबकारी नीति को लेकर ही विवाद हुआ था, जिसके बाद पूरा निर्णय कैप्टन अमरिंदर सिंह पर छोड़ा गया था। इस बैठक में पंजाब सरकार के कई मंत्रियों ने शराब की होम डिलीवरी होने को गलत बताया था और इसका असर सरकार की छवि पर पड़ने की चेतावनी दी थी।
इसी मसले पर बुधवार को फिर से चर्चा हुई। इस दौरान भी बेशक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह से कराधान विभाग का कार्यभार वापस ले लिया है, लेकिन प्रदेश के सांसद, मंत्रियों और विधायकों की उनसे नाराजगी दूर नहीं हुई। इन सभी नेताओं ने मुख्यमंत्री को गुहार लगाई कि वे करण अवतार सिंह को तुरंत सीएस के पद से हटाया जाए और शराब के राजस्व में हो रहे हर साल घाटे की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
बुधवार को मंत्रियों के साथ देते हुए एक-एक कर विधायक जुड़ते नजर आए। संबंधित विधायकों ने भी एक एक उन सभी ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर जमकर भड़ास निकाली। बुधवार को कुछ नए विधायकों ने भी अपने बयान जारी कर सीधे सीएम से सीएस के खिलाफ हर हाल में कार्रवाई करने की मांग की। इनमें संगत सिंह गिलचियां, समाना से विधायक राजिंदर,विधायक कुलबीर सिंह जीरा और विधायक बरिंदर मीत सिंह पाड़ा शामिल है।
यह सभी विधायकों ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी का बिहेव अगर मंत्रियों के प्रति इतना ज्यादा एरोगेंट है तो फिर सीएम साहब को समझ जाना चाहिए एमएलए के प्रति कैसा होगा। हमें तो कुछ समझते ही नही। सीएस से कराधान विभाग को वापस लेने पर साफ कहा कि इससे हमें कोई संतुष्टि नहीं हुई है।
600 करोड़ राजस्व घाटे में अफसरशाही का हाथ, जांच हो : राजा वडिंग
अमरिंदर राजा वडिंग के साथ कई विधायकों ने मांग की है कि सरकार प्रदेश में 600 करोड़ के राजस्व घाटे की जांच कराए। इसमें अफसरशाही का बड़ा हाथ हो सकता है। चंूकि विभिन्न पॉलिसीज बनाने में अफसरों का बड़ा हाथ रहता है। इसलिए जांच के बाद ही पता लग सकता है कि आखिर 600 कराेड़ का घाटा प्रदेश को किन कारणों से हुआ। यह जनता का पैसा है और जनता के काम के लिए इसका प्रयोग हो सकता था, लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही के कारण सरकार काे यह घाटा झेलना पड़ा, इसलिए इसकी जांच के साथ साथ पिछले तीन सालों में हुए राजस्व घाटे की भी सरकार को जांच करानी चाहिए।
सीएम साहब बिना देरी के जल्द जांच के ऑर्डर जारी करें: सुखजिंदर सिंह रंधावा
मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न विभागों और विकास के कामों के लिए पॉलिसीज बनाने में अफसरशाही का बड़ा रोल होता है। इन सबसे प्रदेश के मुख्य सचिव का भी बड़ा योगदान रहता है। अब जो राजस्व घाटे के मामले सामने आ रहे हैं, उन पर तुरंत एक्शन लेते हुए सीएम जांच के ऑर्डर जारी कर देने चाहिए। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि सीएम साहब- हमें जांच करवा जनता के सामने सच लाना चाहिए, ताकि हम पर यह आरोप न लगे कि सब मिले हुए हैं। इसलिए सीएम साहब तुरंत एक्शन लेते हुए जांच ऑर्डर जारी करें।