अभी भी स्कूल जाने वाले मासूमों की जान खतरे में, नहीं सुधरे आटो वाले Life of innocent children going to school is still in danger, not improved by auto drivers

Roshan Bilung

आटो में स्कूल जाने वाले मासूमों की जान खतरे में है। चंद पैसों के लालच में आटो वाले 10 से 16 बच्चे आटो में बिठा कर स्कूल ले जा रहे हैं। प्रशासन भी कुछ दिनों की कार्रवाई के बाद आंखें मूंदे बैठा है। अगर बच्चों को स्कूल या घर छोड़ने वाले ओवरलोड आटो को कोई हादसा पेश आया तो कौन जिम्मेदार होगा?

माननीय हाईकोर्ट के बाद सरकारें, पुलिस व लोकल प्रशासन स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए कई नियम निर्धारित कर चुके हैं। बहुत से स्कूल वाले इन नियमों की खुल कर उल्लंघना कर रहे हैं। प्रशासन का भी यही हाल है जो खुद के बनाए गए नियमों की पालना करवाने में कामयाब नहीं हो पा रहा। इन्हीं लापरवाहियों के कारण मासूमों की जान खतरे में है। स्कूल प्रबंधक भी बच्चों को पूरी तरह सुरक्षित ट्रांसपोर्ट सहूलतें मुहैया नहीं करवा पा रहे। संगरूर के लौंगोवाल में हुए दर्दनाक हादसे के बाद पंजाब भर में प्रशासन व ट्रैफिक पुलिस ने नियमों की पालना न करने वाले स्कूली वाहनों पर शिकंजा कसा, पर कुछ दिनों तक। उसके बाद प्रशासन कार्रवाई करना भूल गया।

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इधर : आटो में 19 बच्चे देख ट्रैफिक पुलिस ने पीछा करके रोका आटो, चालक ने 5 बच्चों को रेलवे ट्रैक की तरफ भगाया
पी.ए.पी. चौक पर नाका देख कर भागे आटो में 19 बच्चों को देख कर ट्रैफिक पुलिस के इंस्पैक्टर रमेश लाल ने पीछा करके आटो रोका तो पुलिस को चकमा देने के लिए आटो वाले ने 5 बच्चों को आटो से उतार कर रेलवे लाइनों की तरफ भगा दिया। गनीमत रही कि इंस्पैक्टर ने बच्चों को देख कर उन्हें ट्रैक की तरफ जाने से रोक लिया और वापस बुला लिया। 

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इंस्पैक्टर ने बताया कि वह पी.ए.पी. चौक से रामामंडी चौक पैट्रोलिंग करते जा रहे थे। पी.ए.पी. चौक पर ट्रैफिक पुलिस का नाका था। उन्होंनेे देखा कि एक आटो में काफी बच्चे बैठे थे, चालक ने चौक पर नाका देख कर आटो घुमा लिया और दकोहा की तरफ चला गया। वह भी पीछा करते हुए दकोहा पहुंच गए और आटो के आगे खुद की गाड़ी लगा ली। आटो में 19 बच्चे सवार थे। उन्होंने अपनी टीम को मौके पर बुलाने के लिए फोन किया तो आटो चालक ने चालान के डर से आटो में सवार 19 बच्चों में से 5 बच्चे उतार कर रेलवे ट्रैक की तरफ भगा दिए।

जैसे ही इंस्पैक्टर रमेश लाल की रेलवे ट्रैक की तरफ जा रहे बच्चों पर नजर पड़ी तो तुरंत उन्होंने बच्चों को आवाज लगा कर वापस बुला लिया। बच्चों की जान खतरे में डालने वाले आटो चालक की जम कर खिंचाई की गई। मौके पर पहुंची ट्रैफिक पुलिस की टीम ने आटो को इम्पाऊंड किया और बच्चों को घर छोड़ने के बाद आटो पुलिस लाइन में खड़ा करवा दिया।

अभिभावकों को भी ध्यान देना जरूरी: मनीषा भुटानी
एक मां और एक्टीविस्ट मनीषा भुटानी का कहना है कि अभिभावक बच्चों को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही न दिखाएं। स्कूली वाहन अगर कंडम है या फिर ड्राइवर नशे में है तो बच्चे इस बात की शिकायत स्कूल प्रबंधकों को करें। मनीषा ने कहा कि वह खुद बच्चों को स्कूल छोड़ने व घर लाने के लिए जाती हैं और हमेशा ट्रैफिक नियमों की भी पालना करती हैं।

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ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई जारी रहेगी : डी.सी.पी. ट्रैफिक
डी.सी.पी. ट्रैफिक नरेश डोगरा का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस की तरफ से ओवरलोडिड स्कूली वाहनों व नियम तोडऩे वालों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने स्कूल प्रबंधकों से भी अपील करते हुए कहा कि वह ठेके पर लिए वाहनों व उनके ड्राइवरों की तरफ ध्यान दें व बच्चों की सुरक्षा से किसी भी प्रकार का खिलवाड़ न करें। 

प्रशासन के साथ-साथ स्कूल मैनेजमैंट की भी जिम्मेदारी: एम.पी. सिंह
प्रो. एम.पी. सिंह का कहना है कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं जिनकी सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। प्रशासन या फिर ट्रैफिक पुलिस नहीं बल्कि स्कूल मैनेजमैंट इन सभी बातों का ध्यान रखे और बच्चों के वाहन ओवरलोडिड न होने दे।

स्कूल ट्रांसपोर्ट पर ठेकेदारों का कब्जा
बच्चों को स्कूल ले जाने व घर छोड़ने वाले स्कूल ट्रांसपोर्ट ज्यादातर ठेकेदारी पर चल रहे हैं। प्रशासन के पास मात्र स्कूल के खुद के वाहनों का रिकार्ड है, लेकिन ठेकेदारों की कोई भी गाड़ी रिकार्ड में नहीं है। संगरूर में हुए हादसे के बाद ट्रैफिक पुलिस ने सभी स्कूलों के प्रबंधकों को स्कूली वाहनों व बच्चों की सुरक्षा के लिए नोटिस भेजे थे, लेकिन उन पर अभी अमल नहीं किया गया है।

प्राइवेट स्कूली वाहनों के लिए यह है गाइड लाइंस

  • सभी स्कूली वाहनों के ड्राइवर का 5 साल में किसी भी ट्रैफिक नियम की उल्लंघना करने का 3 या फिर 3 से ज्यादा बार चालान न हुआ हो और न ही रोड एक्सीडैंट का कोई केस हो। 
  • स्कूली बच्चों को ले जा रहे प्राइवेट वाहन वालों को भी वर्दी पहननी होगी और नेमप्लेट भी लगानी पड़ेगी। 
  • स्कूली वाहनों में सामथ्र्य से ज्यादा बच्चों को न बिठाया जाए। 
  • स्कूली वाहन 50 किलोमीटर से ज्यादा स्पीड से नहीं चलेंगे। 
  • अभिभावक प्राइवेट स्कूली वाहनों के ड्राइवरों का सारा रिकार्ड अपने पास रखेंगे। 
  • सभी स्कूली वाहनों के ड्राइवरों को ड्राइविंग लाइसैंस, फिटनैस सर्टीफिकेट व अन्य जरूरी दस्तावेज रखने होंगे।  
  • स्कूल की मैनेजमैंट सभी ड्राइवरों/कंडक्टरों से वाहनों संबंधी सारी जानकारी दर्ज करेंगे व प्रबंधक इन वाहनों की हर हफ्ते चैकिंग करेंगे। 
  • कंडम वाहनों का इस्तेमाल किसी भी हालत में नहीं किया जा सकता है। 
  • समूह स्कूल प्रबंधक बस/वैन व आटो के ड्राइवरों, कंडक्टरों के साथ हर माह मीटिंग करेंगे।
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