Punjab Media News: Jalandhar Health Department’s failure. Thousands of people may be corona victims
पंजाब: कागजातों में सेहत विभाग कोरोना को लेकर काफी सीरियस है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सेहत विभाग की नाकामी के कारण कोरोना की चपेट में हजारों लोग आ सकते हैं। आलम यह कि 21 मार्च को सुमन छाबड़ा को सिविल अस्पताल में कोरोना की जांच के लिए उनका बेटा रवि छाबड़ा लेकर गया था, लेकिन सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने वापस भेज दिया और कहा कि सब ठीक है। उसका इलाज तक नहीं किया गया, ब्लड सैंपल भी नहीं लिया गया और छह दिन में सुमन छाबड़ा काफी लोगों के संपर्क में आ चुकी थी।
Punjab: In the papers, the health department is quite serious about Corona, but the ground reality is that the failure of the health department can bring thousands of people to Corona. Alam said that on March 21, Suman Chhabra was taken to the Civil Hospital with his son Ravi Chhabra to check the corona, but the doctors of the government hospital sent it back and said that all is well. He was not even treated, blood samples were not taken, and Suman Chhabra had come in contact with many people in six days.
इससे पहले बलदेव सिंह पठवाला के मामले में भी जालंधर के सरकारी अस्पताल की नालायकी सामने आई थी और अब सुमन छाबड़ा के मामले में सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने उसके बारे में न तो आला अधिकारियों को बताया और न ही कोरोना के नोडल अधिकारी को। सुमन छाबड़ा जालंधर के निजात्म नगर इलाके में रहती है और सीएमसी में कोरोना वायरस से ग्रस्त पाई गई है। वह जिंदगी मौत के बीच जंग लड़ रही है और वेंटिलेटर पर है। उसके बेटे रवि छाबड़ा के मुताबिक, उनकी माता बिलकुल ठीक थी। कुछ सांस लेने की तकलीफ हुई तो निजी अस्पताल ले गया।
जहां चिकित्सकों ने एक्स-रे किया और तत्काल सरकारी सिविल अस्पताल जाने के लिए कहा। रवि छाबड़ा 21 मार्च को अपनी माता को सरकारी सिविल अस्पताल आया और एक्स-रे आदि दिखाए। वहां पर बैठे चिकित्सक इस कदर लापरवाह थे कि उन्होंने मरीज को सीरियस ही नहीं लिया और कहा कि सब ठीक है आप घर चले गए। नियमानुसार उसका आइसोलेशन कर ब्लड सैंपल लेकर अमृतसर मेडिकल कॉलेज भेजना चाहिए था लेकिन नहीं भेजा। न ही चिकित्सकों ने संदिग्ध मरीज के बारे में सिविल सर्जन या नोडल अधिकारी को अवगत करवाया।
रवि छाबड़ा मां को लेकर घर वापस आ गया और जब अगले दिन तकलीफ बढ़ी तो लेकर सीएमसी चला गया। जहां उसको अस्पताल में भर्ती किया गया और खून का सैंपल लेकर पीजीआई चंडीगढ भेजा जहां से 26 मार्च को उसमें कोरोना पॉजिटव पाया गया। अगर सेहत विभाग 21 मार्च को ही सैंपल लेकर महिला को आईसोलेट कर देता तो उसकी चपेट में आने से काफी लोग बच सकते थे। इस दौरान सुमन छाबड़ा काफी लोगों से मिलती जुलती रही और इलाके में भी कई घरों में गई।
इलाके में मचा कोहराम, सिविल प्रशासन ने ब्लड सैंपल नहीं लिए
सिविल अस्पताल प्रशासन की सांस फूलने लगी है। हालांकि डिप्टी कमिश्नर व एसडीएम पूरा म़ॉनिटर कर रहे हैं लेकिन सेहत विभाग ग्राउंड पर जीरो दिखाई दे रहा है। निजात्म नगर में आश्रम में आए संतों के लिए एक कोठी में अलग से रसोई बनाकर उनका लंगर तैयार किया गया था। जिसमें सुमन छाबड़ा उस रसोई में मुख्य सेवादार थीं। 7 मार्च से 10 मार्च तक चले कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग इस कोठी में आए और लंगर ग्रहण किया। इस कोठी में रहने वाले कई सदस्य खांसी की चपेट में हैं, एक को बुखार भी है। किसी को सेहत विभाग ने शुक्रवार को आईसोलेट नहीं किया है।
न ही किसी के ब्लड के सैंपल लिए हैं। इतना ही नहीं रसोई में करीब 30 महिलाओं ने वीआईपी लोगों के लिए लंगर तैयार किया था, इनमें एक भी महिला को सिविल अस्पताल आइसोलेट नहीं किया गया है। हालांकि उसमें कई महिलाओं की उम्र 60 क्रास कर चुकी है। निजात्म नगर वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव निखिल शर्मा का कहना है कि एसडीएम साहब आते हैं चले जाते हैं लेकिन सेहत विभाग के अधिकारी कारों में बैठे रहते हैं। किसी को आइसोलेट नहीं किया जा रहा है, जिस तरह से सेहत विभाग चल रहा है, पूरा इलाका इसकी चपेट में आ सकता है।
सिविल सर्जन फिर चुप…
सिविल सर्जन गुरिंदर कौर चावला ने फिर चुपी साध ली है। इस मामले में बात करने के लिए किए गए फोन ही नहीं उठाया और जब निजी तौर पर मुलाकात करने की कोशिश की गई तो संदेश आया कि सिविल सर्जन किसी मसले पर बात नहीं कर सकती हैं, वह व्यस्त हैं।