नई दिल्ली. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में पंजाब की 13 सीटों पर, राज्य में धुर प्रतिद्वंद्वी और भारतीय राष्ट्रीय समावेशी गठबंधन (INDIA) के सहयोगी आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के हाथ मिलाने की संभावना को लेकर बड़ा राजनीतिक सवाल बना हुआ है.
पंजाब के लोगों से पूछिए तो राज्य के मुद्दों के आगे गठबंधन की बात उन्हें मामूली लगती है. राज्य के लगभग 85% घरों में आप द्वारा मुफ्त बिजली देने से खुश होने से लेकर अभी भी व्याप्त नशीली दवाओं के खतरे से परेशान होने तक और राज्य में नौकरियां बहुत कम होने की वजह से कनाडा जाना जारी रहने तक कई बाते हैं.
पंजाब ने हमेशा राजनीतिक तौर पर हैरान किया है
पटियाला की प्रसिद्ध शाही लस्सी की दुकान पर उसकी चुस्की लेते हुए, पंजाबी विश्वविद्यालय के एक शोधार्थी सतविंदर सिंह कहते हैं, ‘पंजाब एक ऐसा राज्य है जिसने हमेशा राजनीतिक तौर पर हैरान किया है. किसने सोचा होगा कि केंद्र में मोदी लहर के बीच 2014 में AAP यहां चार लोकसभा सीटें जीत सकती है? या फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत सकती थी, जबकि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सत्ता में थी? या फिर AAP 2022 के राज्य चुनावों में 92 सीटें जीत सकती है? या उस बड़ी जीत के तुरंत बाद, AAP संगरूर की मुख्यमंत्री सीट से संसदीय उपचुनाव हार जाएगी.’
‘पंजाब का वोट हमेशा राज्य के मुद्दों पर जाता है’
सतविंदर सिंह का कहना है कि पंजाब का वोट हमेशा राज्य के मुद्दों पर जाता है, जो देश के बाकी हिस्सों से अलग होता है. देखिए ना, पंजाब एकमात्र उत्तरी राज्य था जहां कांग्रेस ने 2019 में 13 लोकसभा सीटों में से आठ पर जीत हासिल की, जबकि अन्य जगहों पर उसका सफाया हो गया. सतविंदर सिंह कहते हैं कि आप के मतदाता, गठबंधन में कांग्रेस को वोट नहीं देंगे. वहीं अगली टेबल पर बैठे कैप्टन अमरिंदर गिल कहते हैं, ‘उनका वोट तो आम आदमी पार्टी को जाएगा. मेरा शहर और गांव दोनों में बिजली का बिल शून्य आ रहा है. अगर 2024 में AAP-कांग्रेस गठबंधन करते हैं, तब मुझे सोचना होगा कि क्या करना है.’
आप और कांग्रेस दोनों ही पटियाला से चुनाव लड़ना चाहेंगे
पटियाला एक ऐसी सीट है जो AAP-कांग्रेस की प्रतिद्वंद्विता का उदाहरण पेश करती है. AAP ने 2014 में पहली बार यहीं से संसदीय सीट जीती थी. इसके बाद 2019 में कांग्रेस के लिए परनीत कौर ने इसे वापस जीत लिया था. वहीं, 2022 के विधानसभा चुनावों में, AAP ने दो दशकों में पहली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह का शासन समाप्त करते हुए पटियाला विधानसभा सीट हासिल की थी. फिलहाल, अमरिंदर सिंह कांग्रेस से बाहर हैं और उनकी पत्नी और सांसद परनीत कौर कांग्रेस से निलंबित हैं. आप और कांग्रेस दोनों ही पटियाला से चुनाव लड़ना चाहेंगे.
अमृतसर में AAP समर्थक कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में News18 जब अमृतसर पहुंचा, तो वहां AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान एक बड़ी रैली कर रहे थे. यहां AAP समर्थक 2024 के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन के समर्थन में नजर आते हैं. उनका दावा है कि अगर ऐसा होता है तो गठबंधन पंजाब की सभी 13 सीटों पर जीत हासिल कर सकता है, और अकाली दल और भाजपा का सफाया हो सकता है. AAP के एक वरिष्ठ नेता ने News18 को बताया, ‘गठबंधन में कांग्रेस (कांग्रेस की मौजूदा सीटें) के लिए सात सीटें और AAP के लिए छह सीटें हो सकती हैं.’ हालांकि, आप समर्थकों का मानना है कि पार्टी अकेले भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है, क्योंकि उसके पास क्षमता है और उन्हें अच्छा परिणाम मिलेगा.
सामने खड़ी, बड़ी समस्या जो टाली जा रही है- ड्रग्स जालंधर के पास शहीद भगत सिंह का पैतृक गांव खटकर कलां है, जो अब पंजाबी चेतना के केंद्र में है, जहां मान ने सभी सरकारी कार्यालयों में भगत सिंह की तस्वीर लगवाई है और वह उन्हीं की तरह पीली पगड़ी पहनते हैं. यहां भगत सिंह के पैतृक घर के साथ-साथ एक संग्रहालय जिसका नवीनीकरण किया जा रहा है, को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मान के गढ़ संगरूर से यहां आई महिलाओं का एक समूह मुफ्त बिजली योजना की सराहना करते हुए कहता है कि इससे बड़ी राहत मिली है.
ड्रग्स के मामले पहले जैसे ही हालांकि, इन महिलाओं का भी कहना है कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग पहले की तरह ही बड़े पैमाने पर है, इसे रोकने के लिए जमीनी स्तर पर बहुत कम काम किया गया है. महिलाएं कहती हैं, ‘हम मुख्यमंत्री से ड्रग मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखने का अनुरोध करते हैं… उन्होंने कुछ अन्य अच्छे काम किए हैं, लेकिन ड्रग मुद्दे को तत्काल संभालने की जरूरत है, युवा अभी भी मर रहे हैं.’ वहीं गांव के स्थानीय निवासी मजिंदर सिंह कहते हैं कि अकाली शासन में नशीली दवाएं बड़े पैमाने पर थीं और अब तक बहुत कुछ नहीं बदला है. वह कहते हैं, ‘भगवान ही जाने वो कौन से लोग हैं जिन्हें पकड़ा जा रहा है.’
इसके अलावा, पंजाब में नौकरियों की कमी और किसानों की समस्याओं के साथ-साथ नशे का मुद्दा भी बड़ा है. AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना है, लेकिन इसके बावजूद पंजाब में राजनीतिक प्रतिद्वंद्व हो रहा है और यह राज्य एक राजनीतिक पहेली के रूप में उभर रहा है.