Chanakya Niti: इस चीज के भय से अंदर ही अंदर घुटता रहता है इंसान, छिन जाता है सुख-चैन

Roshan Bilung

 

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चाणक्य नीति 

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार इंसान के अंदर सबसे बड़े भय को लेकर है।

चाणक्य कहते हैं कि किसी भी भय से बड़ा बदनामी का भय बड़ा होता है। मौजूदा वक्त में हर कोई मान-सम्मान के साथ जीना चाहता है। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को इस बात का डर हमेशा परेशान करता रहता है कि कहीं वो ऐसा कुछ न कर बैठे जिससे उसे बदनाम होना पड़े। क्यूंकि लोगों के बीच   मान-सम्मान पाना आसान नहीं होता है।  जब व्यक्ति को बदनामी का भय सताने लगता है तो उसका सुख-चैन सब छिन जाता है।

बदनामी ऐसा भय है जो व्यक्ति के सिर पर हावी पर हो जाता है। अपनों के साथ समाज से भी दूरी बनवा देता है। ऐसा व्यक्ति मानसिक दवाब में जीता है और किसी के साथ जल्दी घुल-मिल नहीं पाता है। बदनामी के डर से वह खुद को कैद तक कर सकता है।

इसलिए जीवन में जब भी अंतरआत्मा सचेत करे तो एक बार ठहर कर विचार जरूर करें कि क्या कुछ गलत होने जा रहा है या कुछ गलत कर रहा हूं। व्यक्ति का एक गलत फैसला उसे बदनामी के रास्ते पर ले जाता है। इसलिए फैसला हमेशा सोच-समझकर ही लेना चाहिए।

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