महिला आरक्षण बिल का पारित होना लोकसभा में और उसके बाद की संविधानिक प्रक्रिया की बजाय बीते कुछ सालों में आये चुनावों में कितने सहायक साबित हो सकेगा?
नई दिल्ली, 21 सितंबर 2023 – Women Reservation Bill 2023, महिला आरक्षण बिल बुधवार को लोकसभा में पास हो गया था. आज राज्यसभा में भी पास होने की उम्मीद है. इस बिल का लाभ 2024 के लोकसभा चुनाव में नहीं मिल पाएगा. ऐसे में सवाल सवाल उठता है कि क्या यह बिल इसके अगले यानी 2029 के लोकसभा चुनाव में लागू हो पाएगा?
देश की आधी आबादी जिस सपने को वर्षों से देख रही थी, वो अब साकार होता दिख रहा है. लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी सीटें देने वाले आरक्षण विधेयक संसद के निचले सदन लोकसभा के पास होने के बाद अब गुरुवार को राज्यसभा यानि उच्च सदन में पेश कर दिया गया है. मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए उम्मीद है कि यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो जाएगा, लेकिन महिलाओं को 33 फीसदी सीटों पर चुनाव लड़ने का आरक्षण 2024 के चुनाव में नहीं मिल पाएगा. ऐसे में सवाल है कि फिर कब से महिलाओं को इस व्यवस्था का लाभ मिलेगा?
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल पेश करते हुए साफ कर दिया था कि जब तक देश में जनगणना और परिसीमन न हो जाता, तब तक महिला आरक्षण का कानून लागू नहीं किया जाएगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान संकेत दिया था कि संसद से पास होने के बाद यह विधेयक साल 2029 के बाद अमल में आएगा. गृहमंत्री अमित शाह ने विस्तार से बताया कि एक-तिहाई सीटों के लिए आरक्षण का निर्धारण कौन करेगा. इसके लिए जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने भी यह जोर दिया कि 2024 के चुनावों के बाद जनगणना और परिसीमन की तुरंत आवश्यकता होगी.
विपक्ष के नेता ने महिला आरक्षण बिल में देरी पर सवाल उठाया और जनगणना में चल रही देरी पर भी सवाल उठाया. उत्तर में, अमित शाह ने बताया कि मौजूदा संविधान सदस्यों को तीन श्रेणियों में विभाजित करता है. पहली श्रेणी आम श्रेणी है, जिसमें अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) शामिल हैं. दूसरी श्रेणी अनुसूचित जातियां (एससी) हैं, और तीसरी श्रेणी अनुसूचित जनजातियां (एसटी) हैं. इन तीनों श्रेणियों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण प्रावधानित किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया के बिना महिला आरक्षण को कैसे लागू किया जा सकता है.
मोदी सरकार की स्पष्टता:
मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि महिला आरक्षण को केवल जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही लागू किया जाएगा. इसका मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा में 33% की सीटों की आरक्षण को सिर्फ जनगणना के पूरा होने के बाद, उसके बाद परिसीमन के बाद ही पूरी तरह से लागू किया जाएगा. इस पूरे प्रक्रिया को पूरा होने में बहुत सारे साल लग सकते हैं, क्योंकि सबसे पहले जनगणना का आयोजन किया जाना है और फिर परिसीमन होगा.
2024 में लागू होने की चुनौती:
देश में राष्ट्रीय जनगणना का आयोजन 2021 के लिए निर्धारित था, लेकिन अब तक नहीं हुआ है. अमित शाह ने बताया कि जनगणना 2024 के बाद की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय भी मानते हैं कि पार्लियामेंट द्वारा नारी आरक्षण विधेयक को पारित होने के बाद भी इसके लागू होने में काफी समय लग सकता है. उन्होंने इस बात का इशारा किया कि केवल जनगणना प्रक्रिया में ही कम से कम दो साल लग सकते हैं. इसलिए किसी भी परिस्थिति में 2024 के लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता है.
नई प्रक्रिया के चलते बदल सकता है सियासी समीकरण:
महिला आरक्षण बिल के पास अब और भी कई चरण हैं, जिनमें इसके पास परिसीमन और अगले आवश्यक चरण का प्रारूप तैयार करने का काम शामिल है. इस प्रक्रिया में कई दफ़े कुछ अच्छे सियासी समीकरण के चलते इसमें बदलाव हो सकता है. यह देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा कि महिला आरक्षण का प्रारूप कैसे बनता है और किस प्रकार से यह चुनौती देगा कि बिल कब और कैसे लागू होता है.
अब तक, यह स्पष्ट नहीं है कि महिला आरक्षण बिल का लाभ कब तक महिलाओं को मिलेगा, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो महिलाओं के लिए सियासी प्रतिस्पर्धा में और अधिक साकारात्मकीकरण का माध्यम बन सकता है. इससे निश्चित रूप से भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हो सकती है, पर यह भी देखा जा रहा है कि इसके पूरे होने में कितना समय लगेगा।