अहमदाबाद (ब्यूरो): देश को झकझोर करके रख देने वाली घटनाओं में एक घटना गोधरा दंगे भी हैं। 27 फरवरी, 2002 भारत के इतिहास में एक ना भूलने वाला जख्म दे गया जिसकी टीस आज भी लोगों के मन में है, इस दिन गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी इस हादसे के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे, इस कांड की गूंज बहुत ज्यादा हुई थी जिसने भाईचारे की भावना को भारी ठेस पहुंचाई थी।
गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक कारसेवकों से भरी रेलगाड़ी में आग लगाने से 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी जिनमें महिलाएं-बच्चे भी शामिल थे। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट में बताया गया था कि 60 लीटर तरल ज्वलनशील पदार्थ बोगी में डाला गया था। लगभग 2 हजार लोगों की भीड़ ने ट्रेन को घेर लिया था। रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन पर पथराव किया गया था ताकि कोई बाहर न आ पाए। इसके बाद मध्य गुजरात में दंगे भड़क गए थे। जिनमें हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और ढाई हजार घायल हुए थे। खास-2002 के गुजरात दंगों को लेकर दायर की गई सभी अपीलों की सुनवाई गुजरात हाईकोर्ट की खंडपीठ में 18 फरवरी से शुरू हो गई है। पंचमहल जिले की पुलिस अधीक्षक लीना पाटिल ने कहा कि 51 साल का रफीक हुसैन भटुक गोधरा कांड के आरोपियों के उस मुख्य समूह का हिस्सा था जोकि पूरी साजिश में लिप्त था। उन्होंने बताया कि रफीक हुसैन भटुक पिछले 19 सालों से फरार चल रहा था। गुप्त सूचना के आधार पर गोधरा पुलिस ने रविवार (14 फरवरी) रात को रेलवे स्टेशन के समीप स्थित सिग्नल फलिया के एक घर में छापेमारी की और भटुक को वहाँ से गिरफ्तार किया।”