- इससे पहले फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी
- सज्जन को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी
पंजाब मीडिया न्यूज़
May 13, 2020, 05:14 PM IST
नई दिल्ली. कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत ने सज्जन को अंतरिम जमानत देने से फिलहाल इनकार कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट उनकी जमानत याचिका पर जुलाई में विचार करेगा।
बुधवार को सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सज्जन की मेडिकल रिपोर्ट देखकर कहा कि आज की स्थिति में उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दंगा पीड़ितों की तरफ से दुष्यंत दवे ने पैरवी की। सज्जन के वकील विकास सिंह ने दलील देते हुए कहा कि अगर उनके मुवक्किल को जेल में कुछ हो गया तो उनकी उम्रकैद की सजा फांसी बन जाएगी।
दो साल पहले सुनाई गई थी सजा
इससे पहले 14 फरवरी को अंतरिम जमानत याचिका खारिज हो गई थी। सज्जन कुमार 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में जेल में हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सिख दंगों के वक्त दिल्ली के राजनगर इलाके में एक परिवार के 5 लोगों की हत्या के मामले में अदालत ने सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था।
निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी किया था
यह मामला 1984 में दिल्ली की पालम कॉलोनी के राजनगर पार्ट-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में गुरुद्वारा फूंकने से जुड़ा है। निचली अदालत ने 30 अप्रैल 2013 को सज्जन कुमार को बरी कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सज्जन समेत 6 लोगों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। अदालत ने सज्जन के अलावा कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, रिटायर्ड नौसेना अधिकारी कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।