- मजदूरों का पलायन, संकट में इंडस्ट्री , इंडस्ट्रियल सेंटर से 38 मजदूर अपने घरों को हो गए रवाना
- लेबर कमिश्नर ने मजदूरों की समस्या सुनी, बोले-किसी को घर जाने से नहीं रोक सकते
- एसो. प्रधान बोले- मजदूर कर रहे घर जाने की जिद्द, कैसे चलेंगी फैक्ट्रियां
पंजाब मीडिया न्यूज़
May 16, 2020, 08:59 AM IST
पठानकोट. लॉकडाउन में पंजाब सरकार ने सूबे में बंद पड़ी इंडस्ट्री को चलाने की छूट दे दी है। इस बीच 54 दिन से बंद पड़ी पठानकोट के इंडस्ट्रियल एरिया की फैक्ट्रियां शुरू होने के साथ ही मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है। शुक्रवार को इंडस्ट्रियल सेंटर की 3 फैक्ट्रियों से 38 मजदूर अपने घरों की तरफ रवाना हो गए। मजदूरों का आरोप है कि घर जाना चाहते हैं और फैक्ट्री मालिक उन्हें जबरदस्ती रोकने की कोशिश कर रहे हैं। मजदूर उत्तर प्रदेश के लखनऊ, इलाहबाद, सीतापुर के रहने वाले हैं।
मजदूरों ने जिला कंट्रोल रूम में शिकायत की तो लेबर कमिश्नर कुंवर डाबर मजदूरों को समझाने पहुंच गए और कहा कि मजदूरों को जबरदस्ती रोका नहीं जा सकता, लेकिन उनके जाने की व्यवस्था की जाएगी। ग्रोथ सेंटर की फैक्टरियों से कुछ मजदूरों को बिना बताए बाहर घर जाने के लिए सिविल अस्पताल से मेडिकल कराने के बाद तीन फैक्टरियों से 38 मजदूर बीती रात को फैक्टरी से घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े। जानकारी मिलने पर फैक्ट्री मालिक ने रात में भी ग्रोथ सेंटर पहुंचकर मजदूरों को रोका और समझाने की कोशिश की। रात उन्हें ग्रोथ सेंटर में ही रोके रखा और शुक्रवार सुबह सभी मजदूर घर जाने की जिद्द पर अड़े रहे। वहीं, फैक्ट्री मालिक उनको समझाते रहे।
मजदूरों का आरोप-घर जाने पर दोबारा काम पर न रखने की दी जा रही धमकी
सीतापुर के अजीत ने बताया कि फैक्ट्री में साथ काम करने वाले 11 लोगों के घर जाने के टेस्ट हुए थे। उनकी 17 मई को ट्रेन भी है। सीतापुर के नवी अली, इलाहबाद के राम सागर, राजिंद्र कुमार, विनय कुमार, अजय कुमार और अन्य मजदूरों ने आरोप लगाया कि घर जाने से रोका जा रहा है। जबकि सरकार के आदेश हैं कि प्रवासी अपने घरों में जा सकते हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन से पहले से काफी समय से परिजनों से नहीं मिले, इसलिए घर जाना चाहते हैं। पर उन्हें यह भी कहा गया है कि अगर आप जाते हैं तो उन्हें दोबारा काम पर नहीं रखा जाएगा। लेबर कमिश्नर डावर मौके पर पहुंचे और उन्होंने प्रवासी मजदूरों की समस्या को सुना। लेबर कमिश्नर ने कहा कि किसी भी प्रवासी मजदूर को घर जाने से रोका नहीं जा रहा है। अगर उन्हें घर जाना है तो उसका इंतजाम कराया जाएगा।
12,500 से ज्यादा मजदूरों ने कराई रजिस्ट्रेशन
जिले से 12 हजार 678 लोगों ने घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन किया था। इनमें झारखंड के 306, महाराष्ट्र के 123, लद्दाख के 3, उत्तर प्रदेश के 2195, उड़ीसा के 96, चंडीगढ़ के 50, आंध्रप्रदेश के 18, राजस्थान के 269, गुजरात के 69, उत्तराखंड के 124, मणिपुर के 9, तमिलनाडु के 1, असम के 91, केरला के 6, जम्मू कश्मीर के 569, हरियाणा के 83, पश्चिम बंगाल के 467, मध्यप्रदेश के 2857, कर्नाटक के 4, दिल्ली के 134, हिमाचल प्रदेश के 345, छत्तीसगढ़ के 2183 और बिहार के 2676 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन विभाग के पोर्टल पर किया है। इनमें से जम्मू के 131 लोगों को बसों के जरिए भेज दिया गया था, जबकि छत्तीसगढ़ के 1200 लोगों को पिछले दिनों 50 बसों में अमृतसर पहुंचाया गया था, जहां से ट्रेन के जरिए उन्हें घर वापस भेजा गया था।
50 से ज्यादा दिन से मजदूरों के खाने-पीने व रहने की व्यवस्था की, काम शुरू होने पर जा रहे: विवेक
मौके पर पहुंचे इंडस्ट्रियल ग्रोथ सेंटर आईजीसी एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक चौधरी और महासचिव विक्रम कोहली का कहना है कि लॉकडाउन में फैक्ट्री का कामकाज पूरी तरह ठप रहा है। मालिकों ने 50 से ज्यादा दिनों से मजदूरों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की है। अब फैक्टरी में कामकाज फिर से शुरू हुआ है तो लेबर अपने घरों को जाने लगी है। इसके चलते मजदूरो को समझाने की कोशिश की जा रही है।