कपूरथला (PMN): शहर को प्लास्टिक रहित एवं स्वच्छ बनाने के तहत राजीव गांधी इन्क्लेव में रविवार को लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा ईको ब्रिक्स माडल तैयार करने वालो लोगो को ईको ब्रिक्स के बदले दूध एवं ब्रेड दी गई एवं अन्य लोगो को भी ईको ब्रिक्स माडल तैयार करने के लिए घर घर जाकर जागरूक किया गया। इस लोगो ने लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन प्रशंशा की और हर संभव सहयोग का भरोसा दिया। इस दौरान जानकारी देते हुए लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन के चेयरमैन संजीव तलवाड़ एवं अधक्ष्य दिव्यांशु भोला ने बताया कि लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन ने कुछ दिन पूर्व शहर को प्लास्टिक रहित एवं स्वच्छ बनाने के तहत कपूरथला में वेस्ट एक्सचेंज ऑफर शुरू किया था जिसमे 10 प्लास्टिक बोतल के बदले आधा किलो दूध का पैकेट दिया जाएगा। 7 बोतल या 500 ग्राम प्लास्टिक के बदले 200 ग्राम दही,5 प्लास्टिक बोतल या 500 ग्राम प्लास्टिक के बदले एक ब्रेड फ्री दी जाएगी।
जिसके तहत आज राजीव गांधी इन्क्लेव के कई घरों से लोगो ने ईको ब्रिक्स माडल तैयार कर लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन को दिए।संजीव तलवाड़ ने कहा कि प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाली हानि जग-जाहिर है। लेकिन,हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि हम प्लास्टिक को रिसायकल और री-यूज़ कर सकते हैं।संजीव तलवाड़ ने बताया कि ईको ब्रिक्स माडल तैयार करने के लिए इसमें वेस्ट प्लास्टिक की बोतल एवं प्लास्टिक के पालिथीन का इस्तेमाल किया जाता है। प्लास्टिक की खाली बोतल में जितने भी वेस्ट पालीथिन होते हैं उनको भरकर मजबूत बनाया जाता है। फिर तैयार हुए ईको ब्रिक्स से विभिन्न प्रकार के आकर्षक एवं सुंदर सामान बनाए जा सकते हैं। घर के गार्डन में बनी क्यारी में ईटों की जगह ईको ब्रिक्स लगाकर क्यारी को सुंदर रूप दिया जा सकता है। संजीव तलवाड़ ने बताया कि आने वाले दिनों में शहर में अलग अलग जगहों पर फूलों की क्यारी बनाई जाएगी एवं उसमें एक पौधा लगाया जायेगा। दिव्यांशु भोला ने कहां कि प्लास्टिक ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। अमूमन हर चीज़ के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है,वो चाहे दूध हो,तेल,घी,आटा,चावल,दालें,मसालें,कोल्ड ड्रिंक,शर्बत, स्नैक्स,दवायें,कपड़े हों या फिर ज़रूरत की दूसरी चीज़ें सभी में प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है। बाज़ार से फल या सब्ज़ियां ख़रीदो,तो वे भी प्लास्टिक की ही थैलियों में ही मिलते हैं। प्लास्टिक के इस्तेमाल की एक बड़ी वजह यह भी है कि टिन के डिब्बों,कपड़े के थैलों और काग़ज़ के लिफ़ाफ़ों के मुक़ाबले ये सस्ता पड़ता है। पहले कभी लोग राशन,फल या तरकारी ख़रीदने जाते थे,तो प्लास्टिक की टोकरियां या कपड़े के थैले लेकर जाते थे। अब ख़ाली हाथ जाते हैं,पता है कि प्लास्टिक की थैलियों में सामान मिल जाएगा। अब तो पत्तल और दोनो की तर्ज़ पर प्लास्टिक की प्लेट,गिलास और कप भी ख़ूब चलन में हैं। लोग इन्हें इस्तेमाल करते हैं और फिर कूड़े में फेंक देते हैं। लेकिन इस आसानी ने कितनी बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है, इसका अंदाज़ा अभी जनमानस को नहीं है।दरअसल,प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बन चुका है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक़ देश में सबसे ज़्यादा प्लास्टिक कचरा बोतलों से आता है। इस अवसर पर लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन के ज़िला अधक्ष्य रणवीर पूरी, मधु भोला, नेंसी भोला, ललिता, पूनम, परमजीत शर्मा, करमजीत, मीनाक्षी, अंशुल, गुरिंदर, नमित, अनमोल अपूर्व आदि उपस्थित थे।