जालन्धर (PMN): विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने एक निश्चित लक्ष्य और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक सुविचारित कार्य पद्धति के साथ शिक्षा क्षेत्र में पदार्पण किया है | इसी चिन्तन और कार्य पद्धति के कारण विद्या भारती विश्व की सबसे बड़ी गैर सरकारी सहायता प्राप्त स्वयंसेवी शैक्षणिक संस्थान बन चुका है | आज विद्या भारती के मार्गदर्शन में 12 हजार औपचारिक और 13 हजार अनौपचारिक (सिंगल टीचर स्कूल या संस्कार केंद्र) शिक्षण संस्थान पूर्ण सफलता और कुशलता के साथ संचालित हो रहे हैं | आज सामान्य समाज में देखा जाता है कि बिना स्वार्थ के कोई भी कुछ करने को तैयार नहीं है | कुछ न कुछ तो व्यक्तिगत लाभ होना ही चाहिए, तभी लोग कार्य करने को तैयार होते हैं | परन्तु विद्या भारती की सुविचारित, सुव्यवस्थित और सुसंगठित कार्य पद्धति का ही एक आश्चर्यजनक परिणाम है कि जहां एक ओर विद्या भारती में जितने कार्यकर्ता वैतनिक रूप से कार्य कर रहे हैं वहीं अवैतनिक रूप से कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या भी लगभग इतनी ही है | ये शब्द विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री और विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के ‘पूर्व छात्र परिषद’ के अखिल भारतीय संयोजक श्री विजय सिंह नड्डा जी ने 22 नवम्बर को विद्या धाम से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहे |
शिक्षा और सामाजिक समस्याओं के मूल चिंतक और कुशल चितेरे श्री नड्डा जी ने इसी प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा, “चाहे औपचारिक शिक्षा का क्षेत्र हो या खेलों का क्षेत्र विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान नित्य नवीन कीर्तिमान स्थापित कर रही है | अपने सीमित साधनों के बल पर ही विद्या भारती के छात्रों की कुशलता और सफलता की गूँज प्रांत और देश की सीमाओं को लांघते हुए ‘कामनवेल्थ गेम्स’ तक भी जा पहुँची है | विद्या भारती के विद्या मंदिरों से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में डाक्टर्स और इंजीनियर्स बन रहे | हमारे अनेक विद्यार्थी सिविल सेवाओं में भी आ चुके हैं | देशभक्ति की भावना के कारण सेना भी जाकर ये विद्यार्थी विद्या मन्दिरों से प्राप्त संस्कारों की खुशबू विखेर रहे हैं | न केवल मात्र इतना बल्कि देश के अन्य अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों में भी हमारे विद्यार्थी उन संस्थानों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं | कितने ही छात्र विदेशों में भी अपनी ईमानदारी, परिश्रमशीलता और बुद्धिमत्ता के साथ कुशाग्रता के कारण, भारत का नाम रोशन करते हुए वहां अनेक उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं और वहाँ सुस्थापित हो चुके हैं |