आरटीए के बस स्टैंड के नजदीक स्थित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक की एक महिला कर्मचारी पर रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं। आवेदक ने डिप्टी कमिश्नर को शिकायत देकर बताया है कि उसने अपनी बहन के ड्राइविंग लाइसेंस की बैकलॉग एंट्री डलवानी थी। इसके लिए जब वह ड्राइविंग ट्रैक पर गया तो वहां तैनात एक महिला कर्मचारी ने पहले तो टालमटोल कर उसके साथ बदतमीजी की। बाद में उसने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस के बैकलॉग एंट्री के बदले ₹500 देने होंगे।
जब उसने कहा कि क्या यह सरकारी फीस है तो महिला कर्मचारी ने कहा कि इसमें से ₹200 वह खुद रखेगी और ₹300 अपने बॉस को देगी। यहां इसी तरह काम चलता है। अगर अपना काम जल्दी करवाना है तो उसे ₹500 देने होंगे। शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने मजबूर होकर ₹500 दे दिए पर फिर भी उस दिन महिला कर्मी ने उसका काम नहीं किया। उसे अगले हफ्ते सोमवार को आने को कहा गया। जब वह सोमवार को गया तो फिर से टालमटोल की और अगले दिन आने को कहा गया। फिर अगले दिन जब हो गया तो उसे दोपहर तक बैठा कर रखा गया और बाद में ड्राइविंग लाइसेंस के बैकलॉग एंट्री डालकर उसे दे दी गई।
शिकायतकर्ता ने कहा कि इस दौरान उसने देखा कि और भी बहुत से लोगों से इसी तरह पैसे ठगे जा रहे थे और उस महिला कर्मचारी का लोगों के साथ व्यवहार भी ठीक नहीं है। इससे लोगों में सरकार और सरकारी अफसरों के प्रति छवि खराब हो रही है। शिकायतकर्ता ने उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
साहब को देने हैं पैसे…
हाल ही में पुराने वीआईपी नंबरों के अलॉटमेंट के मामले में भी इसी तरह एक क्लर्क की आडियो रिकॉर्डिंग वायरल हुई थी। जिसमें वह काम के बदले पैसे मांग रहा है और कह रहा है कि उसे तो थोड़े ही पैसे मिलने हैं बाकी पैसे साहब के पास जाने हैं। इस मामले के उजागर होने के बाद उक्त क्लर्क को यहां से बदलकर चंडीगढ़ भेज दिया गया था।
कोई नहीं ध्यान देने वाला
जालंधर के आरटीए दफ्तर की चंडीगढ़ बैठे ट्रांसपोर्ट विभाग के अफसर या तो पूरी तरह अनदेखी कर रहे हैं या फिर यहां होने वाली गड़बड़ियों पर पूरी तरह मेहरबान है। यही वजह है कि ना तो यहां किसी सहायक ट्रांसपोर्ट अफसर की तैनाती है और ना ही कोरोना वायरस पॉजिटिव होने के बाद सेक्रेटरी बरजिंदर सिंह की जगह पर किसी नए अफसर को लगाया गया। किसी दूसरे विभाग के अफसर को अतिरिक्त चार्ज देना भी ट्रांसपोर्ट विभाग के अफसरों को बर्दाश्त नहीं है। इसी वजह से पिछले करीब तीन हफ्तों से आरटीए दफ्तर बिना सेक्रेटरी की निगरानी के चल रहा है और क्लर्क से लेकर निचले स्तर के कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं।