जालंधर (पीएमएन) : डा. बलराज गुप्ता के रतन अस्पताल पर हुई रेड रही सवालों के घेरे में घिर गई है। सबसे बड़ा सवाल यह पैदा हुआ है कि डा. बलराज गुप्ता को जो 25 हजार रुपए देने की बात कही जा रही है वह 25 हजार रुपए आज तक बरामद नहीं किए जा सके हैं। अगर रुपए ही नहीं मिले तो आप खुद ही सोचिए कि आखिर इस मामले में झूठ कहां तक बोला गया। एक और बात ये कि डिटेक्टिव एजेंसी ने छापे से पहले आखिरकार संबंधित थाने की पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया। क्या एजेंसी की मन में चोर था? या ब्लैकमेलिंग के खेल का हिस्सा यह रेड थी? एक और सवाल जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला कि आखिरकार डा. बलराज गुप्ता के कैबिन को अंदर से दरवाजा बंद क्यों किया गया क्योंकि पहले तो कभी डा. बलराज कैबिन बंद करके मरीजों की जांच नहीं करते। एक बात जोकि चर्चा का विषय बनी है वो यह है कि बार-बार 2 लाख रुपए की बात सामने आई है कि लेकिन इस 2 लाख रुपए का कौन-सा करार हुआ है और इस करार के दस्तावेज किसके पास हैं। जब भी कोई करार होता है तो कोई न कोई करार जरूर होता है लेकिन इस मामले में कोई दस्तावेज नहीं मिला। न ही 25 हजार रुपए देने की वीडियो भी सामने नहीं आई है। यहां तक कि इस पूरे मामले की कोई आडियो भी सामने नहीं आई है। इसलिए लगता है कि ये पूरा मामला कहीं न कहीं एक खेल का हिस्सा है।