जालंधर(PMN) कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान कालोनियों के गेट बंद कर दिए गए थे ताकि कोई आ जा ना सके और संक्रमण ना फैले। अब जब कर्फ्यू खत्म हो चुका है। लॉकडाउन में भी काफी छूट दे दी गई है लेकिन अभी तक शहर के कई इलाके में ऐसी कालोनियां हैं जहां गेट बंद होने से आवाजाही प्रभावित है। अटवाल हाउस, सूर्या एन्क्लेव, जेपी नगर, विजयनगर, ग्रीन पार्क, न्यू जवाहर नगर, लाजपत नगर समेत 50 से ज्यादा कालोनियों में अभी तक गेट बंद हैं। कालोनियों में तालाबंदी के कारण इन कालोनियों से होकर आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इनमें ज्यादा कालोनियां वो हैं जो शहर के मेन इलाकों में हैं और यहां से रूटीन ट्रैफिक की आवाजाही है। गेट बंद होने से लोगों को दूसरे रास्तों से घूमकर जाना पड़ा रहा है। जिनके लिए रास्ते शार्टकट थे, वे ज्यादा परेशान हैं। गर्मी में साइकिलों पर जाने वालों को ज्यादा मुश्किल परेशानी है। कई कालोनियों में तीन से चार गेट हैं। इन दिनों एक गेट ही खोला गया है। इस कारण ना केवल कालोनी में रहने वालों बल्कि यहां से गुजरने वालों को भी परेशानी हो रही है। गेट बंद होने से अस्पताल ले जाने में हुई थी देरी, गई थी महिला की जान
कालोनियों के गेट बंद होने से इमरजेंसी के वक्त ज्यादा परेशानी होती है। रात देर रात अगर किसी को अस्पताल ले जाना पड़े तो उन्हें घूमकर जाना पड़ता है। ऐसे में कभी भी कोई अनहोनी घटना हो सकती है। समय पर अस्पताल ना पहुंचा पाने से कोई अमूल्य जान भी जा सकती है। ऐसा हुआ भी है। कर्फ्यू लगने के शुरुआत के दिनों में अवतार नगर का गेट बंद होने के कारण एक महिला को अस्पताल ले जाने में देरी हुई थी। इससे उसकी मौत हो गई थी। दूध सब्जी वाले भी है परेशान
कालोनियों के गेट बंद होने से आ रही परेशानी को लेकर कई इलाकों से शिकायतें मिल रही हैं। गेट बंद होने से लोगों को मेन रोड से जाना पड़ता है। मोहल्ला वेलफेयर सोसायटीज गेट खोलने पर राजी नहीं हैं। सुबह दूध देने वालों, सब्जी विक्रेता भी इससे परेशानी झेल रहे हैं। महावीर मार्ग के आपस ही कई कालोनियां हैं जहां गेट बंद होने से पैदल और साइकिल वालों को मेन रोड से जाना पड़ रहा है। बस स्टैंड जैसे महत्वपूर्ण इलाके से सटी कालोनी ग्रीन पार्क के भी कई गेट बंद हैं। कानूनन किसी को नहीं गेट लगाने का अधिकार
किसी भी रास्ते को बंद नहीं किया जा सकता। गेट लगाना नियमों की अवहेलना है। इसके बावजूद लोग सुरक्षा का हवाला देकर गेट लगवा लेते हैं। इसे रोकना निगम का काम है लेकिन राजनीतिक दबाव में गेट लगाना आम हो गया है। अगर कालोनी का रास्ता दूसरे रास्ते से नहीं जुड़ता है तो कोई मुश्किल नहीं है लेकिन अगर रास्ता दूसरी इलाकों से जुड़ा है तो यह रास्ते किसी भी सूरत में बंद नहीं हो सकते। इन्हें लगाने से रोकना निगम का काम है। जब यह गेट लगते हैं तो लोग दबाव डलवा कर काम करवा लेते हैं लेकिन आम लोगों के लिए यह मुश्किल बन जाती है। लोगों ने कालोनियों के बाहर गेट अपनी सुरक्षा के लिए लगाए हैं लेकिन यह दूसरों के लिए मुश्किल नहीं बनने चाहिए। मैं निगम के अफसरों से इस पर रिपोर्ट लूंगा कि किन-किन इलाकों में इस वजह से परेशानी हो रही है। लोगों से भी अपील है कि वे उन गेटों को खोल कर रखें जहा से आम जनता की आवाजाही है।
जगदीश राज राजा, मेयर पब्लिक किसी भी गली सड़क या हाईवे को बंद नहीं कर सकती, ये सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है। ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आता है, अगर किसी सड़क को बंद करने से लोगों की आवाजाही प्रभावित होती है तो इसे खुलवाना प्रशासन का काम है।
एडवोकेट अजय कुमार लक्की लोगों ने सुरक्षा के मद्देनजर कालोनियों में गेट लगवाए हैं। इन्हें सुरक्षा के मद्देनजर रात को बंद तो किया जा सकता है लेकिन दिन में खोलना जरूरी है। रात को भी इमरजेंसी हालात में गेट खोलने के लिए गेट पर चौकीदार का होना जरूरी है। गेट सुरक्षा के लिए हैं लेकिन इससे किसी की आवाजाही बंद नहीं की जा सकती। इसे पर थानों से रिपोर्ट मंगवाई जाएगी।