जालंधर : आरोप ‘करन हॉस्पिटल’ पर, दवाई लेने गए मरीज के अटेंडेंट को जबरदस्ती OPD पर्ची कटवाने के, DGP, DC व सेहत विभाग को शिकायत
बयूरो : LOCKDOWN व CURFEW दौरान जहां एक ओर मुख्यमंत्री हॉस्पिटलों की OPD लगातार खोलने की हिदायते दे रहे है वहीं शहर में कई हॉस्पिटलों द्वारा मरीजो से कर्फ्यू की आड़ में या अन्य तरीकों से वसूली की जा रही है। जहां गत दिनों KAP SCAN का मामला गत दिनों प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था वही एक हैरान कर देने वाला मामला बुधवार सामने आया है।
जानकारी देते हुए सुभाष महेंद्रू ने बताया कि उनके बेटे गगन का गत दिनों शहर के कपूरथला चौक में आपरेशन करवाया था और गत 31 मार्च को जब उन्होंने बेटे को दिखाने की बात कही तो लोकडौन का कारण बता हॉस्पिटल/OPD बन्द होने की बात कही गई। वही जब मेडिसिन का एक साल्ट बाहर से लेने के लिए जब बीते कल करन हॉस्पिटल की डॉ. नीरू को सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया आई हॉस्पिटल खुला है आप आकर दवाई ले सकते है।
सुभाष ने आगे बताया कि जब वह बुधवार को दवाई लेने हॉस्पिटल के केमिस्ट के पास गए तो उसने दवाई देने से पहले OPD पर्ची कटवा कर लाने की बात कही जो सरासर गलत है। यह तो मरीजो से अवैध तरीके से वसूली करने का तरीका हॉस्पिटलों ने बना लिया है। इस बारे उन्होंने पंजाब के सेहत विभाग व DGP सहित जलांधर के DC को शिकायत कर दी है। जब इस बारे करन हॉस्पिटल के डॉ. नीरू व तत्पश्चात डॉ. कमल गुप्ता से की गई तो उन्होंने कहा कि केमिस्ट ने ऐसा नही कहा। जबकि अटेंडेंट को मरीज को साथ लेकर डॉक्टर को दिखाने की बात कही क्योंकि केमिस्ट को मना किया हुआ है कि बिना डॉक्टर के हस्ताक्षरों (जो उसी दिन किए हो) के दवाई नही देनी।
ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि अगर डॉक्टर की पर्ची पर दिलकुशा मार्किट या अन्य रिटेलर केमिस्ट दवाई बेचते है तो क्या वह गलत है। क्योंकि डॉ. कमल गुप्ता अनुसार उन्होंने अपने केमिस्ट को मना किया हुआ है कि बिना उनके हस्ताक्षर तो उसी दिन किए हुए हो, के दवाई नही देनी। जिसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग का भी हवाला दिया। उल्लेखनीय है कि दवाई देने की आड़ में OPD की पर्ची कटवाना या बिना उसी दिन के हस्ताक्षरों के बाद ही करन हॉस्पिटल की केमिस्ट शॉप द्वारा दवाई बेचना कहां तक जायज है। डॉ. कमल गुप्ता व डॉ. नीरू के साथ हुई बतकगीत कि रिकॉर्डिंग गोलमाल न्यूज़ के पास उपलब्ध है जिसमे पक्ष जानने के लिए प्रतिनिधि को ‘येलो जर्नलिज्म’ करने तक कि बात कही गई जबकि प्रतिनिधि के एक भी सवाल का दोनों डॉक्टर संतुष्टिजनक जवाब नही दे पाए और अपना अलग अलाप जपते रहे।