रेत-बजरी के लगातार बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के लिए पंजाब कैबिनेट ने रेत के स्क्रीनिंग प्लांटों और क्रशरों पर पर्यावरण प्रबंधन कोष (ईएमएफ) की दोहरी अदायगी का बोझ कम करने के लिए प्रदेश की नई क्रशर नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने क्रशर इकाइयों को अपनी सुरक्षा राशि की अदायगी छह महीनों में तीन किस्तों में जमा करवाने की छूट भी दे दी है। इससे खुले बाजार में रेत के दाम भी घटेंगे और उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
दरअसल, दोहरी अदायगी को लेकर क्रशर मालिकों ने भी राज्य सरकार के समक्ष कई बार मामला रखा था और यह भी साफ कर दिया था कि शुल्क की दोहरी अदायगी का सीधा असर खुले बाजार में रेत के दाम पर भी पड़ रहा है। नई नीति के मुताबिक, क्रशर मालिकों के लिए ईएमएफ की अदायगी एक रुपये प्रति क्यूबिक फुट की दर से करना अनिवार्य किया गया है। इस राशि को क्रशर मालिकों को अपने रिटर्न के साथ जमा करवाना होता है।
एक ही रेत पर स्क्रीनिंग प्लांटों और क्रशरों को दो बार ईएमएफ की अदायगी करनी पड़ रही थी, जिसके कारण अंतिम उत्पाद सामग्री (रेत) की लागत में वृद्धि हो जाती थी। इससे तैयार उत्पाद की बिक्री कीमत, इनपुट लागत में वृद्धि हो जाने के कारण सरकार द्वारा खुले बाजार में निर्धारित दरें भी व्यावहारिक नहीं रह जाती थीं। इस संबंध में क्रशर मालिकों की मांग पर विचार करते हुए फैसला लिया है कि अगर यह पाया जाता है कि ईएमएफ की रकम स्क्रीनिंग प्लांट द्वारा पहले ही, उस मात्रा के लिए अदा की जा चुकी है, जो खुले बाजार में भेजी गई है और सीधे उपभोक्ताओं को नहीं बेची गई तो ईएमएफ कोष की रकम को स्क्रीनिंग प्लांट को दो महीनों के अंदर वापस लौटा दिया जाएगा।
उत्तरी भारत नहर और ड्रेनेज एक्ट, 1873 में संशोधन का फैसला
कैबिनेट ने गैर सिंचाई उद्देश्य के लिए नहरों व नदियों के पानी के इस्तेमाल के खर्च संबंधी उत्तरी भारत नहरी और ड्रेनेज नियम, 1873 की धारा-36 के साथ पढ़ी गई धारा-75 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस फैसले से राज्य सरकार को हर साल 186 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।