बठिंडा (PMN) : सिविल अस्पताल बठिंडा में लापरवाही की हद हो गई है। 45 दिनों में चौथी बार थैलेसीमिया मरीज को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। पहले भी ऐसी घटना सामने आई थी, लेकिन लग रहा है कि सरकार सो रही है।
आज सामने आए ताजा मामले में ब्लड बैंक कर्मियों की लापरवाही से 13 साल का थैलेसीमिया पीडि़त बच्चा एचआईवी पॉजिटिव हो गया है, जबकि एक अन्य बच्चे की हैपेटाइटिस सी की रिपोर्ट पाजिटिव आई। इन बच्चों को करीब 15 दिन पहले अस्पताल में खून चढ़ाया गया था। मंगलवार को दोबारा खून चढ़ाया जाना था। जब उनके रक्त की जांच की गई, तो यह रिपोर्ट सामने आई। 45 दिन में यह चौथा मामला है। अब तक एक महिला और तीन बच्चों को एचआईवी संक्रमित, जबकि एक को हैपेटाइटिस संक्रमित खून चढ़ाया जा चुका है।
इस भयंकर लापरवाही के बावजूद अस्पताल प्रबंधन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड एलाइजा टैस्ट मशीन 6 माह से खराब है, जिस कारण ब्लड बैंक कर्मी रैपिड टैस्ट करके ही डोनेट किया ब्लड मरीजों को चढ़ाते रहे। सेहत विभाग खुद कह चुका है कि रैपिड टेस्ट किसी भी बीमारी की गहनता से जांच के लिए सही पैमाना नहीं है। इस मशीन को ठीक करवाने की सीधी जिम्मेदारी सिविल सर्जन व सीनियर मैडीकल अधिकारी की होती है।
बठिंडा जिले में करीब 80 बच्चे थैलेसीमिया बीमारी से पीडि़त हैं, जिनमें में 50 का इलाज सिविल अस्पताल से चल रहा है। 30 बच्चों का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है। इन सभी बच्चों का इलाज थैलेसीमिया वैल्फेयर सोसायटी करवा रही है। इन बच्चों को हर 15 दिन के बाद सिविल अस्पताल से खून चढ़ाया जाता है। मंगलवार को सात बच्चे पहुंचे थे। टैस्ट के दौरान शेखपुरा का रहने वाला 13 वर्षीय बच्चा एचआईवी पाजिटिव मिला, जबकि गांव कोटफत्ता का आठ वर्षीय बच्चा हैपेटाइटिस सी पाजिटिव पाया गया।
15 दिन में 40 बच्चों को चढ़ चुका है खून
सोसायटी के उपप्रधान महिंदरपाल सिंह व कैशियर प्रवीन कुमार ने बताया कि बच्चों का इलाज शुरू से ही सिविल अस्पताल में चल रहा है। सोसायटी के प्रधान सुरेशपाल व महिंदर सिंह ने कहा कि हर 15 दिन में करीब 40 करीब थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों को खून चढ़ाया जाता है। सभी बच्चों के एचआईवी टैस्ट व अन्य सभी तरह के टैस्ट होने चाहिए। घटना की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।