Punjab media news : देश के प्रमुख नौ विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के घोर दुरुपयोग” का आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा है, जिसमें कांग्रेस, डीएमके और लेफ्ट पार्टियों के हस्ताक्षर नहीं हैं. जिससे यह सपष्ट जाहिर होता है कि विपक्ष की एकता में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. एक तरफ जहां 2024 के लोगसभा चुनाव में भाजपा किसी को अपने टक्कर में नहीं मान रही है. वहीं विपक्षी पार्टियां एकजुटता दिखाकर दम भरने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन कई बार इस दम की हवा निकलती हुई नजर आई है.
TMC-कांग्रेस में रार?
पीएम मोदी को लिखे गए इस पत्र में कई विपक्षी पार्टी के नेताओं के हस्ताक्षर नहीं हैं. यानी कि विपक्षी पार्टियां अभी एक साथ नहीं आई हैं. हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. सागरदिघी विधानसभा के उपचुनाव में हार मिलने के बाद ममता बनर्जी ने भाजपा-कांग्रेस के बीच अनैतिक गठबंधन का आरोप लगाया. सूत्रों के मुताबिक, पत्र के पीछे आप और बीआरएस की ताकत थी. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने भी मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठाया था. लेकिन पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कांग्रेस पार्टी का हस्ताक्षर नहीं था.
विपक्ष में अपना कद बढ़ाने को लेकर है टकराव?
एक तरफ कांग्रेस विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी बनने की चाह रख रही है तो वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रीय पार्टियां अपने राजनीतिक कद को बढ़ाना चाहती हैं. ममता बनर्जी ने पिछले साल लगातार अन्य राजनीतिक पार्टी के नेताओं से मुलाकात की और साथ लड़ने की बात कहीं. लेकिन अब कांग्रेस से दूरी बनाती हुई नजर आ रही हैं. वहीं तेलंगाना के सीएम भी लगातार मुलाकात कर रहे हैं और सभी विपक्षी पार्टियों को साथ ले आने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी राजनीतिक प्रमुखों से मिल रहे हैं, जिससे ये नजर आ रहा है कि आने वाले समय में विपक्षी पार्टियों में टकराव हो सकता है.
9 राजनीतिक दलों के प्रमुखों ने लिखा पत्र
पीएम मोदी को जिन 9 नेताओं ने पत्र लिखा है, उनमें भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख और तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल हैं.
पत्र में विच-हंट का लगाया गया आरोप
पत्र में कहा गया है, ‘हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है. विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के खुलेआम दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र से एक निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं.’ इसके अलावा पत्र में कहा, ‘लंबे समय तक विच-हंट के बाद, मनीष सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बिना किसी सबूत के कथित अनियमितता के सिलसिले में गिरफ्तार किया. 2014 के बाद से आपके प्रशासन के तहत जांच एजेंसियों द्वारा बुक किए गए, गिरफ्तार किए गए, छापे मारे गए या पूछताछ की गई प्रमुख राजनेताओं की कुल संख्या में से, अधिकतम विपक्ष के हैं.