कोलकाता (ब्यूरो)-अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भाजपा में शामिल हो गए हैं। कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। मिथुन का भाजपा में शामिल होना बंगाल चुनाव में पार्टी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। भाजपा में शामिल होने के बाद मिथुन दा ने कहा कि मुझ पर भरोसा रखना, मैं जो कहता हूं, वो करता हूं। मिथुन के आने से भाजपा खुश है वहीं सियासी विश्लेषकों को लगता है कि इससे भाजपा को फायदा हो सकता है।
बीजेपी ने शुरुआत में ही घोषणा की थी कि यदि बीजेपी बंगाल में जीतती है तो वह बंगाल की मिट्टी के ही किसी व्यक्ति को सीएम के पद पर बैठाएगी। कुछ समय पहले मिथुन चक्रवर्ती ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की थी। आज मिथुन के भाजपा में आने से तृणमूल कांग्रेस के खेमे में हलचल तो जरूर मची है। मिथुन चक्रवर्ती को भाजपा में लाने मैं कैलाश विजयवर्गीय की अहम भूमिका है। वो पिछले काफी समय से मिथुन चक्रवर्ती के संपर्क में थे और वे बीती रात भी मिथुन चक्रवर्ती से मिले थे। मिथुन चक्रवर्ती तृणमूल कांग्रेस के खेमे से राज्यसभा भी जा चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक करियर को बहुत जल्द ही छोड़ दिया था। तृणमूल की सदस्यता से इस्तीफा देकर वे कुछ समय राजनीति से दूर थे, लेकिन अब एक बार फिर से सियासत में वापस आ चुके हैं।
मैं जो कहता हूं, वो करता हूं
भाजपा के दामन थामने के बाद मिथुन चक्रवर्ती ने हजारों की संख्या में पहुंची जनता को संबोंधित किया। प्रधानमंत्री मोदी की रैली से पहले भाजपा में शामिल हुए मिथुन चक्रवर्ती ने कहा, ”मैं दिल से बंगाली हूं। मेरा मानना है कि जो बंगाल में रह रहा है, वो बंगाली है। मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि मुझ पर भरोसा रखना, मैंने किसी का साथ नहीं छोड़ा है। मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि मैं जो कहता हूं, वो करता हूं।
गौरंगा से मिथुन तक का सफर
16 जुलाई, 1950 को एक निम्न-मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार में मिथुन का जन्म हुआ। नाम पड़ा गौरंगा (Gouranga) जो बाद में मिथुन के रूप में पहचाने गए। 1960 के दशक में मिथुन भी उस चरमपंथी विचारधारा के साथ बह गए, जिसके आधार पर नक्सली आंदोलन की स्थापना हुई थी और जिसमें उन जैसे हजारों अन्य प्रभावशाली बंगाली युवा शामिल थे।
हालांकि, एक हादसे में उनके भाई की मौत ने उन्हें हिलाकर रख दिया। इसके बाद उन्होंने हथियारों के दम पर एक आदर्श समाज के जन्म पर सवाल उठाया। उस समय बंगाल में नक्सलियों पर पुलिस की सख्ती के कारण, मिथुन को छिपना पड़ा। काफी समय तक भगोड़ा बने रहे।
शमशान में मिला सांसद बनने का ऑफर
दरअसल, मिथुन कोलकाता में थे, जब बंगाल की मशहूर अभिनेत्री सुचित्रा सेन का निधन हुआ था। साल था 2014। ममता बनर्जी ने टिकट देने का अपना फैसला जब मिथुन तक पहुंचवाया, तब वो क्योराटाला शमशान में थे। तारीख थी 17 जनवरी 2014। सुचित्रा सेन के अंतिम संस्कार की रस्में निभाई जा रही थीं। ममता बनर्जी ने कहा था- अमी भेबे नियेच्छी. यानी मैंने फैसला कर लिया है।