विशेष ट्रेनों में जिसको जगह मिली, उसने अपने आप को खुश किस्मत माना
17 मई को खत्म हो रहा है लॉकडाउन का तीसरा फेज, 18 से चौथा फेज होगा
पंजाब मीडिया न्यूज़
May 15, 2020, 09:09 PM IST
लखनऊ/ पटना/ जयपुर/ भोपाल/ जालंधर.. लॉकडाउन का तीसरा फेज खत्म होने में अभी दो दिन बाकी है। 17 मई के बाद शुरू होने वाले चौथे फेज का स्वरूप कैसा होगा, यह अभी तय नहीं है। अपने घरों से दूर रहने वाले लोग अब अपने ही देश में प्रवासी कहलाने लगे हैं। प्रवासियों में अपने घर पहुंचने की आतुरता साफ दिख रही है। देश के सभी राज्यों की सड़कों पर ये प्रवासी, पैदल, ट्रक या अन्य साधनों से चलते दिख रहे हैं। जिसे साधन नहीं मिला तो वो पैदल ही चल दिया। जिन्हें विशेष ट्रेनों में आरक्षण मिल गया, वो अपने को खुश किस्मत समझ रहा था।
ये फोटो जबलपुर का है। रेलवे स्टेशन पर पहुंची ट्रेन से झांकते बच्चों के चेहरे पर न लॉकडाउन की चिंता थी, न कोरोनावायरस का डर।यह तस्वीर हरियाणा के रेवाड़ी की है। यहां यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूर हैं, जो पैदल ही घर के लिए निकल पड़े हैं। धारूहेड़ा में भेड़ों से भरा ट्रक रूका तो मजदूर उसी पर सवार हो गए।यह तस्वीर जालंधर की है। पंजाब से हजारों की संख्या में मजदूर घर के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। तपती धूप से बचने के लिए इस महिला ने बैग अपने सिर पर रख लिया और बच्चे को गोद में ले लिया।यह तस्वीर जालंधर की है। राज्य में एक महीन से कर्फ्यू है। ज्यादातर उद्योग-धंधे बंद पड़े हैं। ऐसे में सिर पर गृहस्थी लादे हुए मजदूरों का रैला घर की तरफ जाता हुआ नजर आता है।मुंबई से गोरखपुर के लिए साइकिल से निकले रामजीवन निषाद(27) के एक पैर में पोलियो है। वे साइकिल से ही अपने घर के लिए निकले हैं। इगतपुरी पहुंचे निषाद अपने पैर दिखाते हुए।यह तस्वीर ठाणे की है। यहां से उत्तर भारतीय राज्यों के लिए जा रहे कुछ प्रवासी मजदूर ट्रकों में कुछ इस तरह से भरकर जा रहे हैं।यह तस्वीर राजस्थान के अलवर की है। मध्यप्रदेश के छतरपुर की रहने वाली रामकुमारी मजदूरी करने के लिए राजस्थान आई थी, लेकिन लॉकडाउन शुरू हो गया। पैदल ही घर की ओर चल पड़ी हैं।यह तस्वीर उदयपुर की है। यहां एक प्रवासी मजदूर को जब कोई सहारा नहीं मिला तो उसने जुगाड़ करके गाड़ी बनाई। गाड़ी पर सारा सामान लादा और घर के लिए निकल पड़ा।यह तस्वीर चंडीगढ़ के पास की है। यहां से प्रवासी मजदूर साइकिल से ही अपने परिवार को लेकर घरों की ओर निकल पड़े हैं। ज्यादातर मजदूर यूपी के रहने वाले हैं।यह तस्वीर चंडीगढ़ की है। यहां घर जाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों का रजिस्ट्रेशन चल रहा है। रजिस्ट्रेशन में काफी भीड़ होती है। ऐसे में एक बच्ची अपनी मां के कंधों पर ही सो गई।ये फोटो लखनऊ का है। लखनऊ-फैजाबाद रोड पर कामता चौराहे से गोरखपुर जाने के लिए ये मजदूर साइकिल से निकले थे। रास्ते में ट्रक मिल गया तो साइकिलें उस पर चढ़ाकर आगे की यात्रा शुरू की।भागलपुर के अलीगंज के बाइपास की तस्वीर। ये मजदूर मुंबई में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी खत्म हुई तो अपने घर के लिए निकल पड़े। ट्रक में सवार होने के लिए ड्राइवर को मोटी रकम दी। इन्हें कटिहार जाना है।ये तस्वीर टाटानगर रेलवे स्टेशन के बाहर की है। ओडिशा से 19 मजदूर शुक्रवार सुबह जमशेदपुर के टाटानगर रेलवे स्टेशन के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि रुपए और खाने की दिक्कत के चलते वे घर की ओर पैदल ही रवाना हुए। सभी मजदूरों के हाथों पर होम क्वारैंटाइन की मुहर भी लगी थी।ये तस्वीर गुमला की है। शुक्रवार को प्रशासन की टीम ने छत्तीसगढ़ के करीब 20 मजदूरों को खाना खिलाकर घर की ओर रवाना किया। ये सभी मजदूर गुमला के सिसई, भंडरा में ईंट-भट्ठे पर काम करते थे। गुरुवार को ये छत्तीसगढ़ के लिए निकले थे, लेकिन प्रशासन की टीम ने इन्हें रोक लिया। सुबह स्वास्थ्य जांच के बाद सभी को छोड़ दिया गया।
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