जालंधर (पवन कुमार)-पंचांग के अनुसार 14 मई 2021 को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया है। भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था। परशुरामजी का वर्णन रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण में भी आता है। मान्यता है कि भारत के अधिकांश ग्राम परशुराम जी ने ही बसाए थे।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम ने तीर चला कर गुजरात से लेकर केरल तक समुद्र को पीछे धकेल दिया। इससे नई भूमि का निर्माण हुआ। इसी कारण कोंकण, गोवा और केरल मे भगवान परशुराम की विशेष पूजा की जाती है। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है। भगवान परशुराम को रामभद्र, भार्गव, भृगुपति, जमदग्न्य, भृगुवंशी आदि नामों से भी जाना जाता है।
भगवान परशुराम का जन्म ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म अन्याय, अधर्म और पापकर्मों का विनाश करने के लिए हुआ था।
परशुराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें कई अस्त्र शस्त्र प्रदान किया। भगवान शिव ने अपना परशु परशुराम को प्रदान किया था। यह अस्त्र परशुराम को बहुत प्रिय था। इस अस्त्र को वे हमेशा अपने साथ रखते थे। इसी कारण इन्हें परशुराम कहा गया।