भारत 15 दिसंबर को देश की सबसे ताकतवर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के नाइट ट्रायल का सफल परीक्षण करता है। मिसाइल को ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से पहली बार पूरी रेंज में दागा गया है। इसने 5500 किलोमीटर दूर जाकर निशाने को सफलतापूर्वक तबाह किया।
केंद्र सरकार के कई मंत्री ट्वीट कर DRDO को बधाई भी देते हैं। वहीं डिफेंस की खबरों पर नजर रखने वाली वेबसाइट ने दावा किया है कि ये अग्नि-5 का नहीं, बल्कि हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल का परीक्षण है। यह दावा परीक्षण के दौरान मिसाइल की ऊंचाई, स्पीड और ट्राजेक्ट्री का एनालिसिस करने के बाद किया गया है।
इंडिपेंडेंट डिफेंस एक्सपर्ट कहते हैं कि परीक्षण के समय जिस तरह से अग्नि-5 मिसाइल धरती के वातावरण में काफी नीचे उड़ते हुए गई है, उससे साफ पता चलता है कि ये बैलिस्टिक मिसाइल नहीं थी। एक्सपर्ट कहते हैं कि कोई बैलिस्टिक मिसाइल पहले अंतरिक्ष में जाती है। इसके बाद वहां से वह अपने टारगेट की ओर जाती है।
डिफेंस की खबरों का एनालिसिस करने वाली वेबसाइट इंडियन एयरोस्पेस डिफेंस न्यूज यानी IADN के मुताबिक, यह परीक्षण हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल जैसा है। इसकी वजह है लो ट्रैजेक्टरी यानी कम ऊंचाई पर इसका उड़ान भरना। एक ट्विटर थ्रेड में IADN ने 2018 में चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल DF-ZF HGV के लॉन्चिंग की तस्वीर पोस्ट कर इसकी तुलना अग्नि-5 से की है।
इसमें बताया गया है कि इन दोनों मिसाइलों की लॉन्चिंग एक जैसी है। IADN ने अपने ट्वीट में कहा है कि हाल ही में अग्नि-5 मिसाइल परीक्षण की जो तस्वीरें आई हैं, उन्हें देखकर इसे बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण नहीं कहा जा सकता है। स्थानीय लोगों द्वारा लिए गए वीडियो को पोस्ट कर दिखाया गया है कि मिसाइल स्टीप कर्व यानी तेजी से ऊपर जाने के बाद दिशा बदल लेती है, जबकि बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण में ऐसा नहीं होता है।
2018 से हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में जुटा है DRDO
डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर) जेएस सोढी कहते हैं कि इसके हाइपरसोनिक मिसाइल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अग्नि-5 की रेंज और स्पीड हाइपरसोनिक मिसाइल जैसी है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी DRDO 2020 में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटेड व्हीकल यानी HSTDV का सफल परीक्षण कर चुका है। देखा जाए तो DRDO 2018 से ही हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम कर रहा है।
साथ ही भारत, रूस के सहयोग से ब्रह्मोस-II मिसाइल के विकास में जुटा है, जोकि एक हाइपरसोनिक मिसाइल है। ब्रह्मोस-II की रेंज 1500 किमी तक होगी और स्पीड साउंड से 7-8 गुना ज्यादा (करीब 9000 किमी/घंटे) होगी। इसकी टेस्टिंग 2024 तक होने की उम्मीद है।
अब जानते हैं कि हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होती है?
बादलों की गड़गड़ाहट के साथ होने वाली मूसलाधार बारिश तो आप सभी ने देखी होगी। आपको तेज धमाकेदार आवाज के साथ बिजली का कौंधना भी याद होगा। इस दौरान आसमान सफेद रोशनी से भर जाता है, लेकिन उसका धमाका चकाचौंध के काफी देर बाद सुनाई देता है। यानी आवाज काफी पीछे छूट जाती है। बस ऐसी ही होती है हाइपरसोनिक मिसाइल।