पंजाब मीडिया न्यूज़, चंडीगढ़: हिमाचल प्रदेश, भारत के पर्वतीय इलाकों में बरसात के साथ ही स्क्रब टायफस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। हाल ही में, IGMC अस्पताल में हुई पांचवीं मौत ने इस समस्या की गंभीरता को और भी बढ़ा दिया है।
स्क्रब टायफस के चिंताजनक मामले
इस समय, हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टायफस के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर सोलन जिले में। इस बीमारी के कारण बीते साल 2022 में 20 लोगों की मौत हो चुकी है, और 2000 टेस्टों में से 500 टेस्ट पॉजिटिव आए थे। 2020 और 2021 में कोरोना महामारी के समय टेस्ट नहीं हो पाए, जो इस समस्या के विस्तार की ओर प्रकट करते हैं।
स्क्रब टायफस के कारण और बचाव
इस बीमारी का कारण होता है एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाड़ियों, और घास में रहने वाले चूहों में पाया जाता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, और स्क्रब टायफस बुखार का कारण बन जाता है।
स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, और शरीर में ऐंठन की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, गर्दन, बाजू, और कूल्हों के नीचे गिल्टियां हो सकती हैं।
स्वास्थ्य जागरूकता और उपचार
स्क्रब टायफस से बचाव के लिए लोगों को झाड़ियों से दूर रहने और घास के बीच न जाने की सलाह दी जाती है, खासकर किसानों और बागवानों के लिए।
इलाज और उपाय
इस बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है, विशेष रूप से डॉक्सीसाइक्लिन। जितनी जल्दी इलाज शुरू किया जाए, दरअसल, हिमाचल में बरसात के मौसम में बुखार का होना आम बात है, लेकिन यदि किसी को तेज बुखार हो, तो स्क्रब टायफस का भी हो सकता है।
अवशेष
स्क्रब टायफस की रोकथाम और उपचार के लिए स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देना और उपचार में सुधार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोगों को सफाई का ध्यान रखने, घर और आसपास के वातावरण को साफ रखने, और कीटनाशक दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
स्क्रब टायफस के खिलाफ सजग रहना और जल्दी से उपचार प्राप्त करना जीवन को बचाने में मदद कर सकता है। इसे गंभीरता से लेना और इसके लक्षणों को पहचानना जीवन की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
इस बीमारी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और सही उपचार प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान होना आवश्यक है।