शिमला में इस जगह है ‘भूत का साया’, जानिए इसकी पूरी कहानी !

Roshan Bilung

बात 1898 की है। जब ब्रितानी हुकूमत शिमला में अपना सराय बनाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने शिमला के विकास की एक योजना रखी। इस विकास योजना में शिमला-कालका रेलवे लाइन भी था।

शिमला अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है। देश-दुनिया से हजारों की संख्या में लोग शिमला घूमने आते हैं। वहीं, इस खूबसूरत शहर में कई ऐसी जगहें भी हैं जहां अकेले जाना खतरे से खाली नहीं है। जिनमें एक स्थान बड़ोग रेलवे स्टेशन के पास स्थित टनल नंबर 33 है। इस टनल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर भूत का साया है। क्या है इसकी कहानी, आइए जानते हैं।

क्या है इसकी कहानी

बात 1898 की है। जब ब्रितानी हुकूमत शिमला में अपना सराय बनाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने शिमला के विकास की एक योजना रखी। इस विकास योजना में शिमला-कालका रेलवे लाइन भी था। जिसे एक दूसरे से जोड़ना था लेकिन इस लाइन को बिछाने के बीच में एक पहाड़ आ रहा था। जिसे तोड़ने और लाइन बिछाने की जिम्मेवारी ब्रिटिश इंजिनियर कर्नल बड़ोग को दी गयी।

मजदूर राह भटक गए

कर्नल बड़ोग ने पहाड़ के दोनों छोड़ में मजदूरों को खुदाई के लिए लगाया। उस समय पहाड़ को तोड़ने के लिए एसिटलिन गैस का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन कर्नल बड़ोग ने एसिटलिन गैस का इस्तेमाल नहीं किया। पहाड़ों को तोड़ते-तोड़ते मजदूर राह भटक गए दोनों छोड़ के मजदूर एक दूसरे से नहीं मिल पाए। जिससे ब्रितानी हुकूमत के पैसों की खूब बर्बादी हुई।

टनल नंबर 33 

यह खबर भी पढ़ें:  चारधाम यात्रा : सड़क धंसने से यमुनोत्री हाईवे बंद, तीन हजार यात्री फंसे, हार्टअटैक से छह श्रद्धालुओं की मौत

इसके बाद ब्रितानी हुकूमत ने न केवल कर्नल बड़ोग से काम छीन लिया बल्कि कर्नल बड़ोग पर एक रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस अपमान को कर्नल बड़ोग सह नहीं पाए और उसी सुरंग में अपनी आत्महत्या कर ली। जिसे आज टनल नंबर 33 के नाम से जाना जाता है। इसके बाद ब्रितानी हुकूमत ने 1900 में फिर से खुदाई करवाया। इस बार उन्हें सफलता मिली और 1903 में शिमला से कालका को जोड़ने वाली लाइन बिछी।

लोहे का दरवाजा लगाया गया

हालांकि, ब्रितानी हुकूमत को सफलता मिल गयी लेकिन कर्नल बड़ोग की आत्महत्या को भूल गए। इसके बाद कर्नल बड़ोग का काला साया आम लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। इस टनल में लोहे का दरवाजा लगाकर ताला लगा दिया गया लेकिन अगले दिन ताला टुटा मिला। इसके बाद उस टनल के दरवाजे पर ताला नहीं जड़ा गया। वहीं, नए टनल का नाम कर्नल बड़ोग के नाम पर ही रखा गया।   

देश की ताजा खबरें पढ़ने के लिए हमारे WhatsApp Group को Join करें
HTML tutorial
Girl in a jacket
Share This Article
Follow:
I, Roshan Bilung Digital Marketer, Freelancer & Web Developer. My Passion is sharing the latest information and article with the public.
Leave a comment