Coronavirus on Laborers / effects on laborers / Coronavirus Updates / Coronavirus Latest News; Prashant Bhushan argues, in case of laborers, the government has closed its eyes, Supreme Court said this institution is not hostage to the government
Punjab Media News: लॉकडाउन के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों के मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अदालत से कहा कि सरकार ने मजदूरों की दुर्दशा से आंखें फेर ली हैं और उन्हें उनके संवैधानिक अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। इस पर जस्टिस एनवी रमना, संजय किशन कौल और बीआर गवई की बेंच ने भूषण से कहा, “हम आपकी क्यों सुनें?
आपको भी तो न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है और यह संस्थान सरकार का बंधक नहीं है। पूर्व आईआईएम डायरेक्टर जगदीप एस चौकर और वकील गौरव जैन की याचिका पर बेंच सुनवाई कर रही थी। चौकर की तरफ से भूषण ने दलीलें रखीं। सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर इस मामले पर केंद्र को जवाब देने को कहा है।
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर कोर्ट रूम में तीखी बहस
- केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “सरकार प्रवासी मजदूरों की समस्याओं से पूरी तरह वाकिफ है और उस पर ध्यान दे रही है। प्रवासी मजदूरों को हर तरह की मदद पहुंचाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं और प्रशांत भूषण को यह नहीं सोचना चाहिए कि केवल वही हैं, जिन्हें संवैधानिक अधिकार लागू ना किए जाने की फिक्र है।”
- प्रशांत भूषण ने कहा- संविधान ने इस संस्थान को बनाया है, लेकिन अभी प्रवासी मजदूरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है और मैं यह व्यथा जाहिर करने का हकदार हूं। मैंने कभी नहीं कहा कि मुझे इस प्रणाली में कोई विश्वास नहीं है। मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन रिटायर्ड जज भी ऐसी ही राय व्यक्त करते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील पर कहा कि आप पिछले 30 वर्षों से शीर्ष अदालत में प्रैक्टिस करने का दावा करते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि कुछ आदेश अनुकूल होते हैं और कुछ नहीं। इसलिए आपको ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए।
- प्रशांत भूषण ने कहा, “अगर वकील के रूप में मेरी उपस्थिति से किसी को कोई आपत्ति है, तो मैं इस केस से हटने के लिए तैयार हूं। लेकिन, इस मामले को और भी वकील सामने लाएंगे।” इस जवाब पर पीठ ने कहा- आपको मामले से हटने के लिए कभी नहीं कहा गया।
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भूषण ने कहा- 90% मजदूरों को राशन नहीं मिला
प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि 90 प्रतिशत से अधिक प्रवासी मजदूरों को राशन या मजदूरी नहीं मिली हैं। उन्हें अपने घर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर मेहता ने कहा कि याचिका में गलत आंकड़े पेश किए गए हैं। केंद्र इस मुद्दे पर राज्यों से सलाह ले रहा है कि प्रवासी मजदूरों को कैसे मदद करनी चाहिए।
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