50 साल बाद सैनिकों को राशन में म‍िलेगा देसी अनाज

Pawan Kumar

Punjab media news : भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को ‘इंटरनेशनल मिलेट ईयर’ घोषित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 18 मार्च को नई द‍िल्‍ली में आयोज‍ित ग्लोबल मिलेट्स (Global Millets Conference) कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन क‍िया था और डाक टिकट और सिक्के (Postage Stamps and Coins) का अनावरण भी किया था. पीएम मोदी ने कहा था क‍ि भारत मोटे अनाज या अन्न को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है. उन्होंने मोटे अनाज को प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में और रसायनों एवं उर्वरकों का इस्तेमाल किए बिना आसानी से उगाये जाने की बात कही थी. इसके बाद अब भारतीय सेना (Indian Army) के खानपान में भी इस पारंपर‍िक अनाज को शाम‍िल क‍िया गया है.

जानकारी के मुताब‍िक भारतीय सेना ने सैन‍िकों को द‍िए जाने वाले राशन में बड़ा बदलाव क‍िया है. सेना ने 50 साल बाद सैनिकों के राशन में देसी और पारम्परिक अनाज को शाम‍िल क‍िया है. सैनिकों को दिए जाने वाले राशन में अब बाजरे के आटे की शुरुआत की गई है. नॉर्दन बॉर्डर पर तैनात सैनिकों को मिलेट के आइटम और उससे बने स्नैक्स दिए जाने पर जोर दिया जा रहा है.

सेना के आध‍िकार‍िक सूत्र बताते हैं क‍ि गेहूं का आटा आने के बाद से बाजरे के आटे को बंद कर दिया गया था. अब सैनिकों को कुल राशन का 25 पर्सेंट तक गेहूं के आटे की बजाय ज्वार, बाजरा और रागी का आटा देगी. सैनिकों के पास 25 पर्सेंट तक यह चुनने का विकल्प होगा. बाजरा अब सभी रैंक के सैनिकों के दैनिक भोजन का हिस्सा होगा. बड़े पैमाने पर आयोजित कार्यक्रम, बड़ा खाना और घर में खाना पकाने में मिलेट का इस्तेमाल होगा।

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