समुद्र का जलस्‍तर बढ़ने की रफ्तार हुई दोगुना, WMO ने कहा- बड़ी तबाही की है आहट

Pawan Kumar

Punjab media news : दुनियाभर में ग्‍लोबल वार्मिंग को लेकर चिंता जताई जा रही है. अलग-अलग समय पर जलवायु परिवर्तन और इसका असर कम करने को लेकर सम्‍मेलन भी होते रहते हैं. दुनियाभर के संगठन इसको लेकर समय-समय पर रिपोर्ट्स भी जारी करके लोगों को जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसानों को लेकर सचेत भी करते रहते हैं. जिनेवा स्थित विश्‍व मौसम विज्ञान संगठन ने हाल में ऐसी ही एक रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट 2022’ जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्‍तर दोगुना रफ्तार से बढ़ रहा है. इससे पूरी दुनिया में भयंकर बर्बादी हो सकती है.

डब्‍ल्‍यूएमओ की 55 पन्‍नों की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्‍वस्‍तर पर बीते आठ साल अब तक के सबसे ज्‍यादा गर्म वर्ष रहे हैं. इस दौरान जलवायु में हुए बदलावों के कारण पूरी दुनिया में भयंकर बाढ़, लू और सूखा के कारण अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है. डब्‍ल्‍यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 के दौरान औसत तापमान में 1.15 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई है. साल 2022 लगातार छठा साल है, जब पृथ्‍वी के तापमान में बढ़ोतरी हुई है.

ला नीना का असर भी रहा है बेअसर

रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार तीसरे साल ‘ला नीना’ का मौसम पर असर पड़ने के बाद भी धरती के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बता दें कि ला नीना की वजह से तापमान में कमी दर्ज की जाती है. जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया के महासागरों में गर्मी और एसिड्स का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. इसके अलावा अंटार्कटिक की समुद्री बर्फ और यूरोपीय आल्प्स ग्लेशियर का स्‍तर काफी घट गया है. पूर्वी अफ्रीका में साल 2022 के दौरान सूखा पड़ा. इसके उलट पाकिस्तान में रिकॉर्ड बारिश हुई. चीन और यूरोप में भयंकर गर्मी के साथ लू चली. इससे लाखों लोगों के जीवन पर बुरा असर पड़ा.

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लाखों लोग हुए विस्‍थापन को मजबूर

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में आई अनिश्चितता के चलते दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा घटी है. डब्ल्यूएमओ महासचिव ने कहा कि इस दौरान बड़े पैमाने पर लोग विस्थापित हुए हैं. इससे अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीका के सूखे ने सोमालिया और इथोपिया में 17 लाख से ज्‍यादा लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर दिया. वहीं, पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से एक तिहाई देश पानी में डूब गया और बड़ी तादाद में लोगों को विस्थापित होना पड़ा. दुनियाभर में 2060 तक ऐसे ही नेगेटिव पैटर्न देखने को मिल सकते हैं.

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