Punjab media news, जालंधर : महानगर में सियासत करवटें बदलती रहती है और ये करवटें चुनावी भी होती हैं और पारिवारिक भी। इन करवटों का असर किसी न किसी पार्टी की मजबूती और पार्टी की कमजोरी पर असर डालता जरूर है।
हाल ही में भाजपा की तरफ से विभिन्न पदाधिकारियों के नामों का ऐलान किया गया है। इन नामों में कुछ नामों पर आपत्तियां आनी शुरू हो गई हैं। इन आपत्तियों को जताने वाले कथित रूप से बगावत की तैयारी में हैं। बगावत का झंडा बुलंद करने वाले भाजपा के सालों पुराने कार्यकर्ताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में वे मोर्चा खोलेंग और निगम चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने की बजाय घर बैठना सही समझेंगे ताकि जिस पार्टी में उन्हें बनता सम्मान नहीं मिला वे उसके लिए क्यों मेहनत करें। दरअसल वेस्ट हलके में जिन मंडल प्रधानों के नामों का ऐलान किया गया है उनमें एक नाम मंडल 10 के प्रधान का भी है। बस्ती गुजां में रहने वाले एक भाजपा वर्कर ने साफ तौर पर कहा है कि इस सीट पर उसका नाम तय था लेकिन वेस्ट विधानसभा चुनाव में दो बार चुनाव हार चुके वरिष्ठ भाजपा नेता ने उसका नाम काटने की बजाय किसी और को मंडल प्रधानगी सौंप दी।
उक्त बागी वर्कर का कहना है कि वह 20 साल से पार्टी से जुड़ा है और गली-गली मोहल्ले-मोहल्ले में जाकर भाजपा की नीतियों को घर-घर पहुंचाने का काम करता रहा है। पार्टी के ओबीसी मोर्चे में उसे सचिव, कैशियर आदि कई पदों पर जिम्मेवारियां मिलीं और उसने बाखूबी इन जिम्मेवारियों को निभाया। उसे पूरी आस थी कि पार्टी उसे इस बार बनता सम्मान देते हुए मंडल 10 की प्रधानगी सौंपेगी लेकिन वेस्ट में चुनावी हार का बार-बार स्वाद चखने वाले इस नेता ने केवल अपने बेटे की यारी के लिए प्रधानगी किसी और को सौंप दी। इसलिए जब पार्टी में परिवारवाद ही चलना है तो फिर इस पार्टी के लिए मेहनत करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। बस्ती गुजां के रहने वाले इस भाजपा नेता ने साफ तौर पर कहा है कि वह आने वाले दिनों में हाईकमान को इस मामले की शिकायत करेगा क्योंकि पहले ही वेस्ट हलके में भाजपा का ग्राफ गिरता जा रहा है और अगर उक्त वरिष्ठ नेता ने मनमर्जी बंद नहीं की तो पार्टी को निगम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ेगा।