Punjab media news : देश की निचली अदालतों में पेंडिंग पड़े 4 करोड़ से ज्यादा मामलों में से लगभग 63 लाख मामले तो केवल वकील नहीं होने के कारण ही पेंडिंग हैं. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (National Judicial Data Grid) के मुताबिक 20 जनवरी तक पेंडिंग पड़े ऐसे मामलों में 78 फीसद मामले क्रिमिनल और बाकी सिविल केस हैं. वकीलों की कमी के कारण पेंडिंग मामलों की संख्या सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में है. आंकड़ों से पता चलता है कि केवल वकीलों के न होने के कारण ऐसे हजारों मामले लंबित सूची में पड़े हैं. केवल दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, यूपी और बिहार को मिलाकर ही ऐसे 63 लाख मामलों में से 77.7 फीसद या 49 लाख से अधिक मामले पेंडिंग हैं.
एक खबर के मुताबिक अदालतों में पेंडिंग केस में वकील के नहीं होने के कई कारण हो सकते हैं. जिसमें मुकदमा लड़ रहे वकीलों की मौत, जब मामले चल रहे होते हैं तो वकीलों की व्यस्तता, अभियोजन द्वारा वकीलों को तय करने में देरी और मुफ्त कानूनी सेवाओं की कम पहुंच जैसे कारण भी जिम्मेदार होते हैं. निचली अदालतों में मुकदमों में होने वाली देरी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. ऐसा कई कारणों से होता है. जिसमें जजों के सामने मामलों की एक बड़ी संख्या, पर्याप्त जजों की कमी और विभिन्न कारणों से मामले का स्थगन शामिल होता है. उनमें से एक कारण वकील उपलब्ध नहीं होना भी है.