Punjab media news : आज 75वां सेना दिवस (75th Army Day) है. साल 1949 में यह समारोह शुरू होने के बाद से पहली बार दिल्ली के बाहर इसका आयोजन हो रहा है. प्रतिवर्ष 15 जनवरी को मनाए जाने वाले सेना दिवस में, परेड एक अभिन्न अंग है. इस बार का आर्मी-डे परेड बेंगलुरु के एमईजी एंड सेंटर परेड ग्राउंड में होगा. इससे पहले हर साल दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में सेना दिवस का आयोजन किया जाता था. मोदी सरकार ने राष्ट्रीय महत्व के आयोजनों को दिल्ली से बाहर आयोजित करने का फैसला लिया है, ताकि इनकी पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच हो और जन भागीदारी बढ़ सके.
थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे परेड की सलामी लेंगे और वीरता पुरस्कार प्रदान करेंगे. इसके बाद आर्मी सर्विस कॉर्प्स (ASC) की टॉरनेडो टीम मोटरसाइकिल पर अपने करतब दिखाएगी, पैराट्रूपर्स स्काईडाइविंग का प्रदर्शन करेंगे, आर्मी एविएशन कॉर्प्स की टीम डेयरडेविल जंप का प्रदर्शन करेगी, अंत में हेलीकॉप्टरों का फ्लाई पास्ट होगा. रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘राष्ट्र के लिए दक्षिण भारत के लोगों की वीरता, बलिदान और सेवाओं को पहचान देने के लिए इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन बेंगलुरु में किया जा रहा है. साथ ही यह फ़ील्ड मार्शल केएम करियप्पा को श्रद्धांजलि है क्योंकि वो कर्नाटक से संबंध रखते हैं.’
प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री ने दी 75वें सेना दिवस की बधाईप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें सेना दिवस पर ट्वीट किया, ‘सेना दिवस पर, मैं सभी सैन्य कर्मियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं. हर भारतीय को हमारी सेना पर गर्व है और हम हमेशा हमारे जवानों के आभारी रहेंगे. उन्होंने हमेशा हमारे देश को सुरक्षित रखा है और संकट के समय उनकी सेवा विशेष रूप से प्रशंसीय है.’ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ‘#ArmyDay पर सभी भारतीय सेना के जवानों और उनके परिवारों को बधाई. राष्ट्र उनके अदम्य साहस, वीरता, बलिदान और सेवा को नमन करता है. भारत को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय सेना के प्रयासों पर हमें गर्व है. मैं #ArmyDay समारोह में भाग लेने के लिए आज बेंगलुरु में रहूंगा.’
भारत में 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाने की खास वजह है. यह दिन भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक की याद दिलाता है. दरअसल, 15 जनवरी, 1949 को करीब 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद पहली बार किसी भारतीय को भारतीय सेना की बागडोर सौंपी गई थी. कमांडर-इन-चीफ का पद पहली बार ब्रिटिश सैन्य अधिकारी से भारतीय सैन्य अधिकारी को मिला था. तब फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल सर फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के तौर पर पदभार ग्रहण किया था. इस दिन भारतीय सैनिकों की उपलब्धियों, देश सेवा, अप्रतिम योगदान और त्याग को सम्मानित किया जाता है.
भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल थे करियप्पा
जब केएम करियप्पा ने भारतीय सेना की कमान संभाली थी, उस वक्त उनकी उम्र थी 49 साल. केएम करियप्पा ने ‘जय हिंद’ का नारा अपनाया जिसका मतलब है ‘भारत की जीत’. भारतीय सेना का गठन ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं से हुआ जो बाद में ‘ब्रिटिश भारतीय सेना’ और स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सेना बन गई. भारतीय सेना को विश्व की चौथी सबसे मज़बूत सेना माना जाता है. भारतीय सेना में फील्ड मार्शल की पांच सितारा रैंक वाले दो ही अधिकारी रहे हैं. पहले हैं केएम करियप्पा और दूसरे अधिकारी फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ हैं. उनको ‘किपर’ के नाम से भी पुकारा जाता है.