Punjab media news : चीन-ताइवान के बीच का संघर्ष (China-Taiwan Tension) लगातार जारी है. अब अमेरिका ताइवान की धरती से चीन को घेरने की पूरी तैयारी में जुट गया है. ताइवान को चीन से बचाने के लिए अमेरिका हर संभव प्रयास कर रहा है. यूएस का प्लान है कि वह ताइवान में मिलिट्री ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए मौजूदा सैन्य क्षमता में 4 गुना की बढ़ोतरी करेगा. पेंटागन ताइवान को रणनीति और हथियार प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर रहा है जिससे चीन को द्वीप पर हमला करना भारी पड़ जाएगा.
वॉशिंगटन रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में ताइवान द्वीप को अमेरिका बेहद शक्तिशाली बना देगा ताकि वह चीन की निगाहों से बचने में सक्षम रहे. अमेरिका अपने प्लान के मुताबिक ताइवान द्वीप पर अगले कुछ ही महीनों में 100 से 200 सैनिकों को तैनात करने की योजना बना रहा है, जो एक साल पहले लगभग 30 थे. अमेरिका और ताइवान दोनों ही चीन की सैन्य शक्तियों का मुकाबला करने के लिए एक साथ आ रहे हैं. रक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों के दौरान अमेरिकी सैनिकों की संख्या में कुछ हद तक उतार-चढ़ाव आया है. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि अमेरिका द्वारा नियोजित वृद्धि पिछले दशकों की सबसे बड़ी तैनाती होगी.
चीन के तानाशाह शी जिनपिंग चाहते हैं कि वे ताइवान को 2027 से पहले अपने क्षेत्र में शामिल कर इतिहास रच लें, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें युद्ध तो जरूर करना पड़ेगा. इस युद्ध में केवल ताइवान नहीं, बल्कि अमेरिका और जापान भी कूदेंगे. फिलहाल चीन ने तो अमेरिका को खुद ही उकसाया है. बता दें कि अमेरिका-चीन के संबंधों में सबसे ज्यादा कड़वाहट इस महीने उत्तरी अमेरिका के आसमान में देखे गए जासूसी गुब्बारे को लेकर आ गई है. इसलिए अमेरिका अब चीन को सबक सिखाने के लिए नई रणनीति बना रहा है. इसी महीने एक संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारे को अमेरिकी फाइटर जेट ने मार गिराया था. इसके कुछ ही दिनों बाद तीन और संदिग्ध चीजें आसमान में देखी गई थीं. तब से अमेरिका भी चीन को लेकर बौखलाया हुआ है और ताइवान के साथ बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास की तैयारी करने का प्लान बना रहा है.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अतिरिक्त सैनिकों को न केवल अमेरिकी हथियार प्रणालियों पर बल्कि संभावित चीनी आक्रमण से बचाने के लिए सैन्य युद्धाभ्यास पर ताइवान बलों को प्रशिक्षित करने का काम सौंपा जाएगा. अधिकारियों ने तैनाती के बारे में और ज्यादा जानकारी देने से अभी इनकार किया है. इस साल जनवरी में एक यूएस थिंक टैंक (US Think Tank) ने 2026 तक का विश्लेषण किया है कि अगर तानाशाह चीन ताइवान पर आक्रमण करता है तो बहुत कुछ खो देगा. थिंक टैंक ने अपने अनुमान में बताया, ‘बड़े पैमाने पर नुकसान तो होगा ही यहां तक कि अमेरिका और जापानी सेना भी इस युद्ध में कूदेंगे और ताइवान का साथ देंगे, लेकिन अंत में चीन की ही हार होनी है.’ अब यह भविष्यवाणी सच होती दिखाई दे रही है.